"विद्युत चुम्बक": अवतरणों में अंतर

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[[विद्युत धारा]] के प्रभाव से जिस लोहे में चुंबकत्व उत्पन्न होता है, उसे '''विद्युत चुंबक''' (Electromagnet) कहते हैं। इसके लिये लोहे पर तार लपेटकर उस तार से विद्युत् धारा बहाकर लोहे को चुंबकित किया जा सकता है। (लोहे पर चुंबक रगड़कर लोहे को चुंबकीय किया जा सकता है जो विद्युत चुम्बकत्व नहीं है)
 
== परिचय एवं इतिहास ==
सन् 1820 ई. में [[अस्टेंड]] (Oersted) ने आविष्कार किया कि विद्युत् धारा का प्रभाव चुंबकों पर पड़ता है। इसके बाद ही उसी साल ऐंरेगो (Arago) ने यह आविष्कार किया कि ताँबे के तार में बहती हुई विद्युत् धारा के प्रभाव से इसके निकट रखे लोहे और इस्पात के टुकड़े चुंबकित हो जाते हैं। उसी साल अक्टूबर महीने में सर हंफ्री डेवी (Sir Humphrey Davy) ने स्वतंत्र रूप से इसी तथ्य का आविष्कार किया।
सन् 1825 ई. में इंग्लैंड के विलियम स्टर्जन (William Sturgeon) ने पहला विद्युत्-चुंबक बनाया, जो लगभग 4 किलो का भार उठा सकता था। इन्होंने लोहे की छड़ को घोड़े के नाल के रूप में मोड़कर उसपर विद्युतरोधी तार लपेटा। तार में बिजली की धारा प्रवाहित करते ही छड़ चुंबकित हो गया और धारा बंद करते ही छड़ का चुंबकत्व लुप्त हो गया। यहाँ छड़ के एक सिरे से दूसरे सिरे तक तार का एक ही दिशा में लपेटते जाते हैं, किंतु सिरों के सामने से देखने से मुड़ी हुई छड़ की एक बाहु पर धारा वामावर्त दिशा में चक्कर काटती है और दूसरी बाहु पर दक्षिणावर्त दिशा में। फलस्वरूप छड़ का एक सिरा उत्तर-ध्रुव और दूसरा दक्षिण ध्रुव बन जाता है।
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प्रति दिन काम आनेवाले अनेक यंत्रों और उपकरणों में छोटे बड़े विद्युत् चुंबकों का व्यवहार होता है। बिजली की घंटी में, टेलीग्राफ और टेलीफोन में विद्युत्-चुंबक का व्यवहार होता है, क्योंकि विद्युत्-चुंबक की यह विशेषता है कि उसमें विद्युत् धारा बहते ही वह चुंबकित हो जाता है और विद्युत् धारा के बंद होते ही विचुंबकित, तथा उसका चुंबकत्व, एक निश्चित सीमा के अंदर, उस विद्युत् चुंबक पर लपेटे तार में बहती हुई धारा का अनुपाती होता है। लाउडस्पीकर में, धारा जनित्रों में, बिजली के मोटरों में, बिजली के हॉर्न में और चुंबकीय क्लच में विद्युत्-चुंबक का व्यवहार होता है। वैद्युत परिपथ में विद्युत् चुंबक के द्वारा रिले का काम लिया जाता है, यानी दूर से ही दुर्बल धारा द्वारा सौ और हजार ऐंपियर धारा के स्विचों को दबा कर सौ और हजार ऐंपियर की धारा स्थापित की जाती है। अनेक प्रकार के स्वचालित यंत्रों में विद्युत् चुंबकों का उपयोग होता है।
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[स्थायी चुम्बक]]
* [[बिचुम्बकन]]
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.magnet.fsu.edu/education/tutorials/magnetacademy/magnets/ Magnets from Mini to Mighty: Primer on electromagnets and other magnets] National High Magnetic Field Laboratory
* [http://instruct.tri-c.edu/fgram/web/mdipole.htm Magnetic Fields and Forces] Cuyahoga Community College