"मरुद्गण": अवतरणों में अंतर

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'''मरुद्गण''' (=मरुत् + गण) एक देवगण का नाम । [[वेद|वेदों]] में इन्हें [[रुद्र]] और [[वृश्नि]] का पुत्र लिखा है और इनकी संख्या ६० की तिगुनी मानी गई है; पर [[पुराण|पुराणों]] में इन्हें कश्यप और दिति का पुत्र लिखा गया है जिसे उसके वैमात्रिक भाई [[इंद्र]] ने गर्भ काटकर एक से उनचास टुकड़े कर डाले थे, जो उनचास मरुद् हुए । वेदों में मरुदगण का स्थान अंतरिक्ष लिखा है, उनके घोड़े का नाम 'पृशित' बतलाया है तथा उन्हें इंद्र का सखा लिखा है । पुराणों में इन्हें [[वायुकोण]] का [[दिक्पाल]] माना गया है
 
== परिचय ==
वैदिक देवताओं के ये गण हैं—८ वसु, ११ रुद्र, १२ आदित्य । इनमें इंद्र और प्रजापति मिला देने से ३३ देवता होते हैं ([[शतपथ ब्राह्मण]]) । पीछे से इन गणों के अतिरिक्त ये गण और माने गए—३० तुषित, १० विश्वेदेवा, १२ साघ्य, ६४ आभास्वर, ४९ मरुत्, २२० महाराजिक । इस प्रकार वैदिक देवताओं के गण और परवर्ती देवगणों को कुल संख्या ४१८ होती है । बौद्ध और जैन लोग भी देवताओं के कई गण या वर्ग मानते हैं ।
 
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उन मरुतों के सिर पर हिरणमय शिरस्त्रारण होता है। (ऋ. 5।54।77)।
 
=== समान गणवेश ===
 
सब मरुतों का गणवेश समान रहता है।
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3. इनके पाँवों में भूषण और छाती पर पदक आभूषण से दीखते हैं--(ऋ. 5।54।11)।
 
=== शस्त्रास्त्र ===
सब मरुतों के शस्त्रास्त्र समान रहते हैं। कंधों पर भाले और हाथों में अग्नि के समान तेजस्वी शस्त्र रहते हैं। अपने हाथों में वे कुठार और धनुष रखते हैं। हाथों में चाबुक धारण करते हैं।
 
=== मरुतों के रथ ===
 
1. मरुत् अपने रथों में घोड़े जोतते हैं।
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(4) आसमान में (रोदसी) उड़नेवाला रथ अर्थात् वायुयान (ऋ. 6।66।7)
 
=== शत्रु पर आक्रमण ===
 
मरुत् देवों के सैनिक थे अत: उनके लिये शत्रु पर हमला करना आवश्यक होता था। मरुत् मनुष्य थे इस विषय में वेद के वचन देखिए।
 
=== मरुतों के गुण ===
 
मरुत् ज्ञानी है (प्रचेतस: मरुत:)। वे दूरदर्शी हैं ("दूरे दृश:")। वे कवि है--(कवय: मरुत:)। मरुत अत्यंत कुशल, उत्तम सैनिक हैं। मरुत् उग्र है (उग्रा: मरुत:)। शत्रु को जड़ मूल से उखाड़कर फेंकनेवाले मरुत् है (सुमाया मरुत:)।
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सात सात सैनिकों की सात पंक्तियों में ये 49 रहते हैं। और प्रत्येक पंक्ति के दोनों ओर एक एक पार्श्व रक्षक रहता है। अर्थात् ये रक्षक 14 होते हैं। इस तरह सब मिलकर 49 अ 14 उ 63 सैनिकों का एक गण होता है। "गण" का अर्थ "गिने हुए सैनिकों का संघ" है। इन मरुतों के संघ इस तरह 63 सैनिकों के होते थे।
 
=== मरुतों के विमान ===
 
मरुतों के विमान भी होते थे, जैसा ऊपर कह चुक हैं।