"बुल्ले शाह": अवतरणों में अंतर

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बुल्ले नूँ समझावन आँईयाँ भैनाँ ते भरजाईयाँ <br />
'मन्न लै बुल्लेया साड्डा कैहना, छड्ड दे पल्ला राईयाँ <br />
आल नबी, औलाद अली, नूँ तू क्यूँ लीकाँ लाईयाँ?' <br />
'जेहड़ा सानू स​ईय्यद सद्दे, दोज़ख़ मिले सज़ाईयाँ <br />
जो कोई सानू राईं आखे, बहिश्तें पींगाँ पाईयाँ <br />
राईं-साईं सभनीं थाईं रब दियाँ बे-परवाईयाँ <br />
सोहनियाँ परे हटाईयाँ ते कूझियाँ ले गल्ल लाईयाँ <br />
जे तू लोड़ें बाग़-बहाराँ चाकर हो जा राईयाँ <br />
बुल्ले शाह दी ज़ात की पुछनी? शुकर हो रज़ाईयाँ' <br />
|
बुल्ले को समझाने बहनें और भाभियाँ आईं <br />
(उन्होंने कहा) 'हमारा कहना मान बुल्ले, [[आराइन|आराइनों]] का साथ छोड़ दे <br />
नबी के परिवार और अली के वंशजों को क्यों कलंकित करता है?' <br />
(बुल्ले ने जवाब दिया) 'जो मुझे सैय्यद बुलाएगा उसे दोज़ख़ (नरक) में सज़ा मिलेगी <br />
जो मुझे आराइन कहेगा उसे बहिश्त (स्वर्ग) के सुहावने झूले मिलेंगे <br />
आराइन और सैय्यद इधर-उधर पैदा होते रहते हैं, परमात्मा को ज़ात की परवाह नहीं <br />
वह ख़ूबसूरतों को परे धकेलता है और बदसूरतों को गले लगता है <br />
अगर तू बाग़-बहार (स्वर्ग) चाहता है, आराइनों का नौकर बन जा <br />
बुल्ले की ज़ात क्या पूछता है? भगवान की बनाई दुनिया के लिए शुक्र मना' <br />
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* {{cite book|title=ਸਾਈਂ ਬੁੱਲ੍ਹੇਸ਼ਾਹ|trans_title=साईं बुल्लेशाह|author=जे॰ आर॰ पूरी, टी॰ आर॰ शंगारी|publisher=राधा स्वामी सतसंग ब्यास|place=|edition=13|year=2011|language=पंजाबी|url=|ISBN=978-81-8256-953-9}}
 
== सन्दर्भ ==
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