"महावाक्य": अवतरणों में अंतर

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वेद में कई '''महावाक्य''' हैं। जैसेः
 
* [[नेति नेति]] (यह भी नही, यह भी नहीं)
 
* [[अहं ब्रह्मास्मि]] (मैं ब्रह्म हूँ)
 
* [[अयम् आत्मा ब्रह्म]] (यह आत्मा ब्रह्म है)
 
* [[यद् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे]] ( जो पिण्ड में है वही ब्रह्माण्ड में है)
 
वेद की व्याख्या इन महावाक्यों से होती है।
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उपनिषद के ये चार महावाक्य मानव जाति के लिए महाप्राण, महोषधि एवं संजीवनी बूटी के समान हैं, जिन्हें हृदयंगम कर मनुष्य आत्मस्थ हो सकता है।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://www.livehindustan.com/news/editorial/guestcolumn/57-62-80552.html उपनिषदों की शिक्षा]
* [http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/3051145.cms उपनिषदों के छह महावाक्य हैं सुखी जीवन के सूत्र] (नवभारत)
 
[[श्रेणी:वेद]]