"वैदिक संस्कृत": अवतरणों में अंतर
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'''वैदिक संस्कृत''' २००० ईसापूर्व (या उस से भी पहले) से लेकर ६०० ईसापूर्व तक बोली जाने वाली एक [[हिन्द-आर्य भाषा]] थी। यह [[संस्कृत]] की पूर्वज भाषा थी और [[आदिम हिन्द-ईरानी भाषा]] की बहुत ही निकट की संतान थी। उस समय [[फ़ारसी]] और संस्कृत का विभाजन बहुत नया था, इसलिए वैदिक संस्कृत और [[अवस्ताई भाषा]] (प्राचीनतम ज्ञात [[ईरानी भाषा]]) एक-दूसरे के बहुत क़रीब हैं। वैदिक संस्कृत [[हिन्द-यूरोपीय भाषा-परिवार]] की [[हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार|हिन्द-ईरानी भाषा शाखा]] की सब से प्राचीन प्रमाणित भाषा है।<ref name="ref42fopuf">[http://books.google.com/books?id=Kwnv3I6qIosC A brief history of India], Alain Daniélou, Kenneth Hurry, Inner Traditions / Bear & Co, 2003, ISBN
हिन्दुओं को प्राचीन [[वेद]] धर्मग्रन्थ वैदिक संस्कृत में लिखे गए हैं। [[भारतीय उपमहाद्वीप]] में श्रौत जैसे सख़्त नियमित ध्वनियों वाले मंत्रोच्चारण की हज़ारों वर्षों पुरानी परम्परा के कारण वैदिक संस्कृत के शब्द और उच्चारण इस क्षेत्र में लिखाई आरम्भ होने से बहुत पहले से सुरक्षित हैं। वेदों के अध्ययन से देखा गया है कि वैदिक संस्कृत भी सैंकड़ों सालों के काल में बदलती गई। [[ऋग्वेद]] की वैदिक संस्कृत, जिसे '''ऋग्वैदिक संस्कृत''' कहा जाता है, सब से प्राचीन रूप है। [[पाणिनि]] के नियमिकरण के बाद की शास्त्रीय संस्कृत और वैदिक संस्कृत में काफ़ी अंतर है इसलिए वेदों को मूल रूप में पढ़ने के लिए संस्कृत ही सीखना पार्याप्त नहीं बल्कि वैदिक संस्कृत भी सीखनी पढ़ती है। अवस्ताई फ़ारसी सीखने वाले विद्वानों को भी वैदिक संस्कृत सीखनी पड़ती है क्योंकि अवस्तई ग्रन्थ कम बचे हैं और वैदिक सीखने से उस भाषा का भी अधिक विस्तृत बोध मिल जाता है।<ref name="ref77xugar">[http://books.google.com/books?id=RzblAAAAMAAJ Aufsätze zur Indoiranistik: Volume 3], Karl Hoffmann, Johanna Narten, Reichert, 1992, ISBN
== संस्कृत और वैदिक संस्कृत में ध्वनि अंतर ==
वैदिक संस्कृत में 'फ़' (<small>[[अंग्रेज़ी]]: f, [[अ॰ध॰व॰]]: [ɸ]</small>) और '[[ख़]]' (<small>[[अ॰ध॰व॰]]: [x]</small>) की ध्वनियाँ थीं जो बाद की संस्कृत में खोई गई।<ref name="ref97muzaf">[http://books.google.com/books?id=qRwJAAAAQAAJ A practical grammar of the Sanskrit language], Sir Monier Monier-Williams, Clarendon Press, 1864, ''... An Ardha-visarga ... sometimes employed before k,kh and p,ph. Before the two former letters this symbol is properly called Jihva-muliya, and the organ of its enunciation said to be the root of the tongue ...''</ref> इसमें [[ख़|'ख़' के उच्चारण]] पर ध्यान दें क्योंकि यह 'ख' से बहुत भिन्न है, और 'ख़राब' और 'ख़ास' जैसे शब्दों में मिलती है। आधुनिक काल में एक ग़लत धारणा है कि 'फ़' और 'ख़' की ध्वनियाँ संस्कृत-परम्परा में विदेशज हैं। वर्गीकरण की दृष्टि से 'फ़' को 'उपध्मानीय' और 'ख़' को 'जिह्वामूलीय' कहा जाता है।<ref name="ref03podum">[http://books.google.com/books?id=IoDyJsDzFqwC The major languages of South Asia, the Middle East and Africa], Bernard Comrie, Taylor & Francis, 1990, ISBN
== अवस्तई फ़ारसी और वैदिक संस्कृत की तुलना ==
१९वीं शताब्दी में [[अवस्ताई भाषा|अवस्ताई फ़ारसी]] और वैदिक संस्कृत दोनों पर पश्चिमी विद्वानों की नज़र नई-नई पड़ी थी और इन दोनों के गहरे सम्बन्ध का तथ्य उनके सामने जल्दी ही आ गया। उन्होने देखा के अवस्ताई फ़ारसी और वैदिक संस्कृत के शब्दों में कुछ सरल नियमों के साथ एक से दुसरे को अनुवादित किया जा सकता था और व्याकरण की दृष्टि से यह दोनों बहुत नज़दीक थे। अपनी सन् १८९२ में प्रकाशित किताब "अवस्ताई व्याकरण की संस्कृत से तुलना और अवस्ताई वर्णमाला और उसका लिप्यन्तरण" में भाषावैज्ञानिक और विद्वान एब्राहम जैक्सन ने उदहारण के लिए एक अवस्ताई धार्मिक श्लोक का वैदिक संस्कृत में सीधा अनुवाद किया<ref name="ref92viley">[http://books.google.com/books?id=B1CCAAAAIAAJ An Avesta grammar in comparison with Sanskrit and The Avestan alphabet and its transcription], Abraham Valentine Williams Jackson, AMS Press, 1892, ISBN
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== इन्हें भी देखें ==
* [[संस्कृत]]
* [[अवस्ताई भाषा]]
* [[हिन्द-ईरानी भाषा-परिवार]]
* [[ऋग्वेद]]
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>
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