"ब्रह्म समाज": अवतरणों में अंतर

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'''ब्रह्म समाज''', [[राजा राम मोहन राय]] द्वारा स्थापित [[हिन्दू]] [[सुधार आन्दोलन]] था। ब्रह्मसमाज उस आध्यात्मिक आंदोलन की कहानी है जो 19वीं शताब्दी के नवजाग्रत भारत की विशेषता थी। इस आंदोलन ने स्वतंत्रता की सर्वव्यापी भावना का सूत्रपात किया एवं जनसाधारण के बौद्धिक, सामाजिक तथा धार्मिक जीवन को नवीन रूप प्रदान किया। वस्तुत: ब्रह्मसमाज के विश्वासों एवं सिद्धांतों ने न केवल विगत वर्षों में भारतीय विचारधारा को ही नवीन मोड़ दिया, अपितु भारतीय राष्ट्रीय एकीकरण, अंतरराष्ट्रीयता एवं मानवता के उदय की भी अभिवृद्धि की।
 
== इतिहास ==
18वीं शती के अंत में भारत पाश्चात्य प्रभावों एवं राष्ट्रीय रूढ़िवादिता के चतुष्पथ पर खड़ा था। शक्तियों के इस संघर्ष के फलस्वरूप एक नवीन गतिशीलता का उदय हुआ जो सुधार के उस युग का प्रतीक थी जिसका शुभारंभ पथान्वेषक एवं भारतीय नवजाग्रति के प्रथम अग्रदूत राजा राममोहन राय के आगमन के साथ हुआ। राजा राममोहन राय ने ईश्वरीय ऐक्य "एकमेवाद्वितीयम्" परमात्मा के पितृमयत्व एवं तज्जन्य मानवमात्र के भ्रातृत्व का संदेश दिया। इस सुदृढ़ तथा विस्तृत आधार पर ब्रह्मसमाज के सर्वव्यापी धर्म के उत्कृष्ट भवन का निर्माण हुआ।
 
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इस प्रकार ब्रह्मसमाज अथवा निरंतररोद्विकासी धर्मसंश्लेषण हमें अपेक्षाकृत कम समय में एक ब्रह्म, एक विश्व तथा एक मानवता के वांछित लक्ष्य के निकट पहुँचाने में समर्थ हो सकता है।
 
== स्थापना ==
२०, अगस्त १९२८ । राजा राममोहन राय ने [[तुलनात्मक धर्म]] अध्ययन किया था परन्तु वे मुख्य रूप से उपनिषद , उनके दर्शन तथा विचारों से प्रभावित हुए थे , उपनिषद दर्शन के प्रभाव वश ही उनके द्वारा अपने संगठन का नाम ब्रह्म समाज रखा गया उनके विचार तथा योगदान धार्मिक ,सामाजिक , तथा राजनेतिक क्षेत्रो मे व्याप्त थे उन्हें आधुनिक भारत का निर्माता माना जाता है
 
== उनके धार्मिक विचार ==
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(५) ब्रह्म समाज के विशावासो के अनुसार ईश्वर सभी सत्ताओ का स्रोत है ,व्यर्थ के दार्शनिक वाद्विवादों ,रीतिरीव्जो ,धयं योग का कोई स्थान नही है <br />
(६) यह एक मान्वात्वादी धर्म था जिसमे मनुष्य जाति सबसे महत्वपूर्ण थी ,मानवता ही सबसे बड़ा धर्म था<br />
(७) ब्रह्म समाज उपनिषदों के ब्रह्म से प्रभावित था एक ईश्वर का समर्थक ,मूर्तिपोजा ,पुजारी पंठो , धार्मिक अन्धविश्वासों तथा प्रथाओ का विरोधी थे
 
== सामाजिक विचार ==
राजा साहब के जीवन मे सर्वाधिक महत्वपूर्ण बिन्दु वह था जब उनके सामने उनके बड़े भाई
की पत्नी को जबरन सति कर दिया गया इस क्षण से वे समाज सुधारक बन गए तथा सती प्रथा ,सहित सभी <br />अमानवीय ,अन्ध्विश्वाशी ,सामाजिक प्रथाओ के विरोधी बन गए<br />
 
== सामाजिक योगदान ==
[[शब्द कौमुदी]] का सम्पादन-प्रकाशन कर [[सती प्रथा]] के विरोध मे जनमत तैयार किया इसी लक्ष्य हेतु ब्रिटिश सरकार को प्रथान पत्र दिया जिसके चलते 1829 का सती प्रथा निरोधक क़ानून बना यह सामाजिक विधि का प्रारम्भ था। राममोहन राय ने भी हिन्दी में समाचारपत्र निकाला।
 
== स्थान ==
[[कलकत्ता]]
 
== उद्देश्य ==
* हिन्दु समाज में व्याप्त बुराईयों को दूर करना
 
== ब्रह्मसमाज और हिन्दी ==
ब्रह्मसमाज के सभी नेताओं ने [[हिन्दी]] को भारत की राष्ट्रभाषा माना। केशवचंद्र सेन के ही सलाह पर [[स्वामी दयानन्द सरस्वती]] ने हिन्दी को [[सत्यार्थप्रकाश]] की भाषा बनाया और अपने भाषण आदि हिन्दी में दिये।
 
== बाहरी कड़ियाँ ==
* [http://brahmo.org World Brahmo Council]
* [http://brahmosamaj.org/ Beliefs of Brahmo Samaj]