"ब्रह्माण्डविद्या": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Hinducosm Map1.svg|right|thumb|300px|हिन्दू मान्यता के अनुसार ब्रहाण्ड का चित्रण]]
'''ब्रह्माण्डविद्या''' या '''कॉस्मोलॉजी''' [[खगोल विज्ञान]] की एक शाखा है, जिसमें ब्रह्माण्ड से जुड़ी तमाम बातों का अध्ययन किया जाता
यह बीसवीं शताब्दी में कॉस्मोलॉजी के बारे में बढ़ती जिज्ञासा का ही प्रतिफल था कि वैज्ञानिकों ने ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से जुड़ी [[बिग बैंग सिद्धांत]] दे डाला। कॉस्मोलॉजी की शुरुआत एक तरह से [[ऐल्बर्ट आइनस्टाइन|आइंस्टीन]] के [[सामान्य सापेक्षता]] सिद्धांत के बाद से मानी जाती
आइंस्टीन ने कहा कि ब्रह्माण्ड में कुछ पदार्थ है। इसी सिद्धांत के आधार पर फ्रेडमेन ने अपना सिद्धान्त दिया जिसमें कहा कि ब्रह्माण्ड फैल रहा है या सिकुड़ रहा है। 1927 में जॉर्ज लेमेत्री ने बिग बैंग थ्योरी देकर फ्रेडमेन के सिद्धांत की पुष्टि की। इसके बाद [[हबल]] के कॉस्मोलॉजिकल सिद्धांत ने बिग बैंग थ्योरी और फ्रेड के गैलैक्सी के नियम को आधार प्रदान किया।
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1965 में माइक्रोवेव की खोज और ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के नियम के बाद इस बात को माना जाने लगा कि वह फैल रहा है। माइक्रोवेव की खोज के दौरान यह बात भी सामने आई कि ब्रह्माण्ड के 25 प्रतिशत हिस्से में डार्क मैटर है जिसमे से केवल 4 प्रतिशत को ही देखा जा सकता है।
वैज्ञानिकों ने भी इस बात को माना कि विस्फोट से पहले ब्रह्माण्ड सिकुड़ा हुआ था। कॉस्मोलॉजी के मानक सिद्धान्त अनुसार ब्रह्माण्ड को विभिन्न समय में बांटा जा सकता है। इन्हें 'इपोस' कहते हैं। मोटे तौर पर कहा जाए तो फिजिकल कास्मोलॉजी के माध्यम से ब्रह्माण्ड के बड़े ऑब्जेक्ट मसलन गैलेक्सी, क्लस्टर और सुपरक्लस्टर के बारे में जनकारी मिलती है। कॉस्मोलॉजी की मदद से ब्लैक होल के बारे में जानने
== इन्हें भी देखें ==
* [[ब्रह्माण्ड]]
* [[ब्रह्माण्ड पुराण]]
== बाहरी कड़ियाँ ==
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