"मार्कण्डेय पुराण": अवतरणों में अंतर
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== विस्तार ==
मार्कण्डेय पुराण में नौ हजार श्लोकों का संग्रह है। १३७ अध्यायपरक मार्कण्डेय पुराण में १ से ४२ वें अध्याय तक के वक्ता जैमिनि और श्रोता पक्षी है, ४३ वें से ९० अध्याय में वक्ता मार्कण्डेय और श्रोता क्रप्टुकि हैं तथा इसके बाद के अंश के वक्ता सुमेधातथा श्रोता सुरथ-समाधि हैं। मार्कण्डेय पुराण आकार में छोटा है। इसमें एक सौ सैंतीस अध्यायों में ही लगभग नौ हजार श्लोक हैं। मार्कण्डेय ऋषि द्वारा इसके कथन से इसका नाम 'मार्कण्डेय पुराण' पड़ा।
== मार्कण्डेय पुराण की संक्षिप्त जानकारी ==
इस पुराण के अन्दर पक्षियों को प्रवचन का अधिकारी बनाकर उनके द्वारा सब धर्मों का निरूपण किया गया है। मार्कण्डेय पुराण में
== संदर्भ ==
<references/>
== बाहरी कडियाँ ==
* [http://www.vedpuran.com/# '''वेद-पुराण'''] - यहाँ चारों वेद एवं दस से अधिक पुराण हिन्दी अर्थ सहित उपलब्ध हैं। पुराणों को यहाँ सुना भी जा सकता है।
* [http://is1.mum.edu/vedicreserve/puran.htm महर्षि प्रबंधन विश्वविद्यालय]-यहाँ सम्पूर्ण वैदिक साहित्य संस्कृत में उपलब्ध है।
* [http://www.tdil.mit.gov.in/vedicjan04/hDefault.html ज्ञानामृतम्] - वेद, अरण्यक, उपनिषद् आदि पर सम्यक जानकारी
* [http://www.aryasamajjamnagar.org/vedang.htm वेद एवं वेदांग] - आर्य समाज, जामनगर के जालघर पर सभी वेद एवं उनके भाष्य दिये हुए हैं।
* [http://www.samaydarpan.com/july/pehal5.aspx जिनका उदेश्य है - '''वेद प्रचार''']
* [http://veda-vidya.com/puran.php वेद-विद्या_डॉट_कॉम]
* [http://www.purana.wikidot.com पुराण]
{{पुराण}}
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