"मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी सौदा": अवतरणों में अंतर

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[[Fileचित्र:Sauda kulliyat 1872.jpg|thumb|230px|सन् १८७२ में छपा सौदा की [[कुल्लियात]] का अंग्रेज़ी अनुवाद]]
'''मिर्ज़ा मुहम्मद रफ़ी 'सौदा'''' (<small>[[उर्दू]]: {{Nastaliq|ur|مرزا محمد رفیع سودا}}</small>, १७१३–१७८१) [[देहली]] के एक प्रसिद्ध [[शायर]] थे। वे अपनी [[ग़ज़लों]] और [[क़सीदों]] के लिए जाने जाते हैं।<ref>[http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00urdu/sauda/txt_pegors_jsal1990.pdf A Shahr-ashob of Sauda, translated by Mark Pegors]</ref>
 
== जीवनी ==
सौदा का जन्म वर्ष पक्का नहीं है लेकिन कुछ [[तज़किरों]] में ११२५ [[हिजरी]] (यानि १७१३-१७१४ ईसवी) बताया गया है। वे [[दिल्ली]] में पैदा और बड़े हुए और [[मुहम्मद शाह (मुगल)|मुहम्मद शाह]] के ज़माने में जिए।<ref name="Intro">[http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00urdu/sauda/00introcourt.html Introduction of Selections from the Kulliyat of Sauda, by Major Henry Court, 1872]</ref> धर्म के नज़रिए से उनका परिवार [[शिया]] था।<ref name="Satires">[http://www.columbia.edu/itc/mealac/pritchett/00fwp/srf/srf_sauda_2010.pdf The Satires of Sauda (1706-1781) (Sept. 2010), by Shamsur Rahman Faruqi]</ref> उनके पहले उस्ताद सुलयमान क़ुली ख़ान 'विदाद' थे। शाह हातिम भी उनके उस्ताद रहे क्योंकि अपने छात्रों की सूची में उन्होंने सौदा का नाम शामिल किया था।<ref>[http://dsal.uchicago.edu/digbooks/digpager.html?BOOKID=PK2167.A84&object=144 Azad, Muhammad Husain Ab-i hayat: yani mashahir shura-yi Urdu ke savanih umri aur zaban-i mazkur ki ahd ba ahd ki taraqqiyon aur islahon ka bayan. Lahor: Naval Kishor 1907]</ref> मुग़ल बादशाह शाह आलम सौदा के शागिर्द बने और अपनी रचनाओं में ग़लतियाँ ठीक करवाने के लिए सौदा को दिया करते थे। सौदा [[मीर तकी 'मीर']] के समकालीन थे। ६० या ६६ की आयु में वे दिल्ली छोड़ नवाब बंगश के साथ [[फ़र्रूख़ाबाद]] आ बसे और फिर [[अवध]] के नवाब के साथ [[फैज़ाबाद]] आ गए। जब [[लखनऊ]] अवध रियासत की राजधानी बन गया तो वे नवाब शुजाउद्दौला के साथ लखनऊ आ गए। ७० की आयु के आसपास उनका लखनऊ में ही देहांत हुआ।<ref name="Aab-e hayaat">[http://dsal.uchicago.edu/books/PK2155.H8413/141172d3.html#poet_saudaa Aab-e hayaat (1880) on Sauda]</ref>
 
== कृतियाँ ==
सौदा को क़सीदों और [[तंज़]] के सबसे अच्छे शायरों में गिना जाता है। शुरू में वे [[फ़ारसी]] में ही लिखा करते थे लेकिन अपने उस्ताद ख़ान-ए-आरज़ू का कहा मानकर [[उर्दू]] में भी लिखने लगे। १८७२ में उनकी [[कुल्लियात]] को बंगाल रिसाले के मेजर हेनरी कोर्ट (<small>Major Henry Court</small>) ने अंग्रेज़ी में अनुवाद किया। उनके कुछ चुने शेर इस प्रकार हैं:
 
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'' ये वो नयन हैं जिनसे की जंगल हरे हुए''|'''सौदा'''}}
 
== इन्हें भी देखें ==
* [[तंज़]]
* [[क़सीदा]]
* [[शायरी]]
* [[शायर]]
 
== सन्दर्भ ==
<small>{{reflist|2}}</small>