"मुअनजो-दड़ो": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो r2.7.3) (Robot: Modifying ne:मोहन जोदडो, sa:मोएन जो दड़ो |
छो Bot: अंगराग परिवर्तन |
||
पंक्ति 12:
}}सिन्धु घाटी सभ्यता का एक प्रमुख नगर अवशेष, जिसकी खोज १९२२ ईस्वी मे राखाल दास बनर्जी ने की। यह नगर अवशेष सिन्धु नदी के किनारे [[सक्खर ज़िले]] में स्थित है। मोहन जोदड़ो शब्द का सही उच्चारण है 'मुअन जो दड़ो'। सिन्धी भाषा में इसका अर्थ है - मृतको का टीला।
'''मोहन जोदड़ो-''' ([[सिंधी]]:موئن جو دڙو और [[उर्दू]] में अमोमअ मोहनजोदउड़ो भी) वादी [[सिंध]] की क़दीम तहज़ीब का एक मरकज़ था। यह
मुअन जो दड़ो- को 1922ए में बर्तानवी माहिर असारे क़दीमा [[सर जान मार्शल]] ने दरयाफ़त किया और इन की गाड़ी आज भी मुअन जो दड़ो- के अजायब ख़ाने की ज़ीनत है।
लेकिन एक मकतबा फ़िक्र ऐसा भी है जो इस तास्सुर को ग़लत समझता है और इस का कहना है कि उसे ग़ैर मुनक़िसम हिंदूस्तान के माहिर असारे क़दीमा आर के भिंडर ने 1911ए में दरयाफ़त किया था। मुअन जो दड़ो- कनज़रवेशन सेल के साबिक़ डायरेक्टर हाकिम शाह बुख़ारी का कहना है कि "आर
'मुअन जो दड़ो'- [[सिंधी]] ज़बान का लफ्ज़ है जिस का मतलब '''मुरदों का टीला''' है।
पंक्ति 24:
माहिरीन के मुताबिक यह शहर सात मरत्तबा उजड़ा और दुबारा बसाया गया जिस की अहम तरीन वजह दरयाऐ सिंध का सैलाब था।
ये शहर [[अक़वाम मुतहदा]]
पंक्ति 31:
[[चित्र:Mohenjodaro_Sindh.jpeg|thumb|right|250px|Mohen-jor-Daro, 80 km southwest of [[Sukkur]], was center of Indus Valley Civilization [[26th century BC|2600 BC]]-[[17th century BC|1700 BC]]]]
<references/>
[[श्रेणी:प्राचीन सभ्यताएँ]]
[[श्रेणी:सभ्यता]]
|