"लाख (लाह)": अवतरणों में अंतर

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लाख, कीटों से उत्पन्न होता है। कीटों को लाख कीट, या लैसिफर लाक्का (Laccifer lacca) कहते हैं। यह कॉक्सिडी (Coccidae) कुल का कीट है। यह उसी गण के अंतर्गत आता है जिस गण का कीट खटमल है। लाख कीट कुछ पेड़ों पर पनपता है, जो भारत, बर्मा, इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में उपजते हैं। एक समय लाख का उत्पादन केवल भारत और बर्मा में होता था। पर अब इंडोनेशिया तथा थाइलैंड में भी लाख उपजाया जाता है और बाह्य देशों, विशेषत: यूरोप एवं अमरीका, को भेजा जाता है।
 
पचासों पेड़ हैं, जिनपर लाख कीट पनप सकते हैं, पर भारत में जिन पेड़ों पर लाख उगाया जाता है, ये हैं-
पचासों पेड़ हैं, जिनपर लाख कीट पनप सकते हैं, पर भारत में जिन पेड़ों पर लाख उगाया जाता है, ये हैं कुसुम (Schleichera trijuga), खैर (Acacia catechu), बेर (Ziziphus jujuba), पलाश (Butea frondosa), घोंट (Zizphus xylopyra) के पेड़ और अरहर (Cajanus indicus) के पौधे, यद्यपि शीशम (Dalbergia latifolia), पंजमन (Ougeinia dalbergioides), सिसि (Albizzia stipulata), पाकड़ (Ficus infectoria), गूलर (Ficus glomerata), पीपल (Ficus religiosa), बबूल (Acacia arabica), पोर हो और शरीफे इत्यादि के पेड़ों पर भी यह कीट पनप सकता है। लाख की अच्छी फसल के लिए पेड़ों को खाद देकर उगाया जाता है और काट-छाँटकर तैयार किया जाता है। जब नए प्ररोह निकलकर पर्याप्त बड़े हो जाते हैं तब उनपर लाख बीज बैठाया जाता है।
* [[कुसुम]] (Schleichera trijuga),
* [[खैर]] (Acacia catechu),
* [[बेर]] (Ziziphus jujuba),
* [[पलाश]] (Butea frondosa),
* [[घोंट]] (Zizphus xylopyra) के पेड़ और
* [[अरहर]] (Cajanus indicus) के पौधे,
* [[शीशम]] (Dalbergia latifolia),
* [[पंजमन]] (Ougeinia dalbergioides),
* [[सिसि]] (Albizzia stipulata),
* [[पाकड़]] (Ficus infectoria),
* [[गूलर]] (Ficus glomerata),
* [[पीपल]] (Ficus religiosa),
* [[बबूल]] (Acacia arabica),
* [[पोर हो]] और
* [[शरीfaa]] इत्यादि
 
लाख की अच्छी फसल के लिए पेड़ों को खाद देकर उगाया जाता है और काट-छाँटकर तैयार किया जाता है। जब नए प्ररोह निकलकर पर्याप्त बड़े हो जाते हैं तब उनपर लाख बीज बैठाया जाता है।
 
लाख की दो फसलें होती हैं। एक को कतकी-अगहनी कहते हैं तथा दूसरी को बैसाखी-जेठवीं कहते हैं। कार्तिक, अगहन, बैशाख तथा जेठ मासों में कच्ची लाख एकत्र किए जाने के कारण फसलों के उपर्युक्त नाम पड़े हैं। जून-जुलाई में कतकी-अगहनी की फसल के लिए और अक्टूबर नवंबर में बैसाखी-जेठवी फसलों के लिए लाख बीज बैठाए जाते हैं। एक पेड़ के लिए लाख बीज दो सेर से दस सेर तक लगता है और कच्चा लाख बीज से ढाई गुना से लेकर तीन गुना तक प्राप्त होता है। अगहनी और जेठवी फसलों से प्राप्त कच्चे लाख को "कुसुमी लाख" तथा कार्तिक एवं बैसाख की फसलों से प्राप्त कच्चे लाख को "रंगीनी लाख" कहते हैं। अधिक लाख रंगीनी लाख से प्राप्त होती है, यद्यपि कुसमी लाख से प्राप्त लाख उत्कृष्ट कोटि की होती है। लाख की फसल "एरी" हो सकती है, या "फुंकी"। कीटों के पोआ छोड़ने के पहले यदि लाखवाली टहनी काटकर उससे लाख प्राप्त की जाती है, तो उस लाख को "एरी" लाख कहते हैं। एरी लाख में कुछ जीवित कीट, परिपक्व या अपरिपक्व अवस्थाओं में, रहते हैं। कीटों के पोआ छोड़ने के बाद जो टहनी काटी जाती है, उससे प्राप्त लाख को "फुंकी" लाख कहते हैं। फुंकी लाख में लाख के अतिरिक्त मृत मादा कीटों के अवशेष भी रहते हैं।