"न्यायवाद (चीनी दर्शनशास्त्र)": अवतरणों में अंतर

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== राजाओं के लिए सलाह ==
हान फ़ेईज़ी के अनुसार किसी भी शासक को तीन तत्वों का प्रयोग करना चाहिए:<ref name="ref96ligal">[http://books.google.com/books?id=wH6jUFojxlUC History of Chinese philosophy], Bo Mou, Taylor &amp; Francis US, 2008, ISBN 978-0-415-35688-6</ref>
* '''फ़ा''' (法, कानून या सिद्धांत): क़ानूनों को स्पष्ट रूप से लिखा जाना चाहिए और सभी नागरिकों पर बराबरी से लागू होना चाहिए। जो क़ानून का पालन करे उसे सुरक्षा और इज़्ज़त मिलनी चाहिए और जो उसे तोड़े उसे सज़ा मिलनी चाहिए। क़ानून में मनमानी की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए। सब को क़ानून का ज्ञान होना चाहिए। राज्य क़ानून के अनुसार चलना चाहिए, न की राज्यराजा को अपनी मन-मर्ज़ी के क़ानून बनाने चाहिए। अगर इस सिद्धांत का पालन हो तो कमज़ोर राजा भी प्रभावशाली हो सकता है।
* '''शु''' (術, विधि और तरीक़ा): शासक को कुछ विशेष और गुप्त तरीक़ों से यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए की कोई अन्य सत्ता न छीन ले। इसलिए किसी को भी शासक के इरादों का ठीक पता नहीं होना चाहिए। नागरिकों को साधारण जीवन जीने के लिए केवल 'फ़ा' (क़ानून) के पालन की ज़रुरत है। उस से अधिक सत्ता में आने के लिए या राजनैतिक रूप से शक्तिशाली बनाने के लिए क्या करना चाहिए, इन बातों पर पर्दा डला रहना चाहिए।
* '''शी''' (勢, शक्ति और प्रतिभा): शासक को हमेशा याद रखना चाहिए की शक्ति सिंहासन से जुड़ी होती है न की किसी व्यक्ति-विशेष से। इसलिए शासक को सदैव हालात पर, घटना चक्रों पर और बनते हुए माहौल पर नज़र रखनी चाहिए।