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पंक्ति 1:
कलम उठा अपने हाथों में
ज्ञानमूर्ति , कहलाते हैं
दुष्ट प्रकृति के स्वामी ,
कैसे नाम व्यास बतलाते हैं !
पंक्ति 6:
देख के इन कवियों की भाषा , आँख चुराएं मेरे गीत !
कौन धूप में,जल को लाकर
सूखे होंठो, तृप्त कराये ?
प्यासे को आचमन कराने
गंगा, कौन ढूंढ के लाये ?
नंगे पैरों, गुरु दर्शन को ,आये थे, मन में ले प्रीत !
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