"वास्तुकला का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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=== बृहत्तर भारत का वास्तु ===
''देखें - [[अंकोरवाट मंदिर]]''
 
भारतीय कला के उत्कृष्ट नमूने भारत के बाहर [[श्रीलंका]], [[नेपाल]], [[बरमा]], [[स्याम]], [[जावा]], [[बाली]], [[हिंदचीन]], और [[कंबोडिया]] में भी मिलते हैं। नेपाल के शंभुनाथ, बोधनाथ, मामनाथ मंदिर, लंका में अनुराधापुर का स्तूप और लंकातिलक मंदिर, बरमा के बौद्ध मठ और पगोडा, कंबोडिया में अंकोर के मंदिर, स्याम में बैंकाक के मंदिर, जावा में प्रांबनाम का बिहार, कलासन मंदिर और बोरोबंदर स्तूप आदि हिंदू और बौद्ध वास्तु के व्यपक प्रसार के प्रमाण हैं। जावा में भारतीय संस्कृति के प्रवेश के कुछ प्रमाण 4 वी शती ईसवी के मिलते हैं। वहाँ के अनेक स्मारकों से पता लगता है कि मध्य जावा में 625 से 928 ई. तक वास्तुकला का स्वर्णकाल और पूर्वी जावा में 928 से 1478 ई. तक रजतकाल था।