"अर्धचालक पदार्थ": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Pasmowa teoria przewodnictwa-schemat.svg|right|thumb|300px|सुचालक, अर्धचालक तथा कुचालक के बैण्डों की तुलना]]
'''अर्धचालक''' (semiconductor) उन [[पदार्थ|पदार्थों]] को कहते हैं जिनकी [[विद्युत चालकता]] [[विद्युत चालक|चालकों]] (जैसे ताँबा) से कम किन्तु [[कुचालक|अचालकों]] (जैसे [[काच]]) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10<sup>-5</sup> से 10<sup>8</sup> ओम-मीटर के बीच) [[सिलिकॉन]], [[जर्मेनियम]], [[कैडमियम सल्फाइड]], [[गैलियम आर्सेनाइड]] इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं। अर्धचालकों में चालन बैण्ड और संयोजक बैण्ड के बीच एक '[[बैण्ड गैप]]' होता है जिसका मान ० से ६ एलेक्ट्रान-वोल्ट के बीच होता है। (Ge 0.7 eV, Si 1.1 eV, GaAs 1.4 eV, GaN 3.4 eV, AlN 6.2 eV).
एलेक्ट्रानिक युक्तियाँ बनाने के लिए प्रयोग किए जाने वाले अधिकांश अर्धचालक [[आवर्त सारणी]] के समूह IV के तत्व (जैसे सिलिकॉन, जर्मेनियम) , समूह III और V के यौगिक (जैसे, गैलियम आर्सेनाइड, गैलियम नाइट्राइड, इण्डियम एण्टीमोनाइड) antimonide ), या समूह II और VI के यौगिक ( कैडमियम टेलुराइड ) हैं। अर्धचालक पदार्थ एकल [[क्रिस्टल]] के रूप में हो सकते हैं या बहुक्रिस्टली पाउडर के रूप में हो सकते हैं। वर्तमान समय में कार्बनिक अर्धचालक (organic semiconductors) भी बनाए जा चुके हैं जो प्रायः बहुचक्री एरोमटिक यौगिक होते हैं।
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आधुनिक युग में प्रयुक्त तरह-तरह की युक्तियों (devices) के मूल में ये अर्धचालक पदार्थ ही हैं। इनसे पहले [[डायोड]] बनाया गया और फिर [[ट्रांजिस्टर]]। इसी का हाथ पकड़कर एलेक्ट्रानिक युग की यात्रा शुरू हुई। विद्युत और [[एलेक्ट्रानिकी]] में इनकी बहुत बड़ी भूमिका रही है। विज्ञान की जिस शाखा में अर्धचालकों का अध्ययन किया जाता है उसे [[ठोस अवस्था भौतिकी]] (सलिड स्टेट फिजिक्स) कहते हैं।
==अर्धचालकों के विशेष गुण==
ताप बढ़ाने पर अर्धचालकों की विद्युत चालकता बढ़ती है, यह गुण चालकों के उल्टा है। अर्धचालकों में बहुत से अन्य उपयोगी गुण भी देखने को मिलते हैं, जैसे किसी एक दिशा में दूसरे दिशा की अपेक्षा आसानी से धारा प्रवाह (अर्थात् भिन्न-भिन्न दिशाओं में विद्युतचालकता का भिन्न-भिन्न होना)। इसके अलावा नियंत्रित मात्रा में अशुद्धियाँ डालकर (एक करोड़ में एक भाग या इससे मिलता-जुलता) अर्धचालकों की चालकता को कम या अधिक बनाया जा सकता है। इन अशुद्धियों को मिलाने की प्रक्रिया को 'डोपन' (doping) कहते हैं। डोपिंग करके ही एलेक्ट्रानिक युक्तियों (डायोड, ट्रांजिस्टर, [[आईसी]] आदि) का निर्माण किया जाता है। इनकी चालकता को बाहर से लगाए गए विद्युत क्षेत्र या प्रकाश के द्वारा भी परिवर्तित किया जा सकता है। यहाँ तक कि इनकी विद्युत चालकता को तानकर (tensile force) या दबाकर भी बदला जा सकता है।
अपने इन्हीं गुणों के कारण ये अर्धचालक प्रकाश एवं अन्य [[विद्युत संकेत|विद्युत संकेतों]] को आवर्धित (एम्प्लिफाई) करने वाली युक्तियाँ बनाने, विद्युत संकेतों से नियंत्रित स्विच (जैसे [[बीजेटी]], [[मॉसफेट]], [[एससीआर]] आदि) बनाने, तथा ऊर्जा परिवर्तक ( देखें, [[शक्ति एलेक्ट्रानिकी]]) के रूप में काम करते हैं। अर्धचालकों के गुणों को समझने के लिए [[क्वाण्टम भौतिकी]] का सहारा लिया जाता है।
==कुछ अर्धचालकों का परिचय==
अर्धचालक युक्तियों के निर्माण में [[सिलिकॉन]] (Si) का सबसे अधिक प्रयोग होता है। अन्य पदार्थों की तुलना में इसके मुख्य गुण हैं कच्चे माल की कम लागत, निर्माण मे आसानी, और व्यापक तापमान परिचालन सीमा। वर्तमान में अर्धचालक युक्तियों के निर्माण के लिये पहले सिलिकॉन को कम से कम ३००mm की चौडाई के [[बउल (क्रिस्टल)|<span title="Boule">बउल</span>]] के निर्माण से किया जाता है, ताकी इस से इतनी ही चौडी [[वेफर (एलेक्ट्रोनिकी)|<span title="Wafer">वेफर</span>]] बन सके।
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