"कुन्फ़्यूशियसी धर्म": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Dacheng Hall.JPG|thumb|right|कुफ़ु के कुन्फ़्यूशियस मन्दिर का दाचेंग हाल]]
'''कनफ़ूशीवाद''' या '''कुंगफुत्सीवाद''' या '''कुन्फ़्यूशियसी धर्म''' ([[:en:Confucianism]], चीनी : 儒學, अर्थात विद्वानों का आश्रम) [[चीन]] का एक प्राचीन और मूल धर्म, दर्शन और सदाचार की विचारधारा है । इसके प्रवर्तक थे चीनी दार्शनिक [[कुन्फ़्यूशियस]] ([[:en:Confucius]], चीनी : कुंग-फ़ू-त्सू) , जिनका जन्म 551 ईसापूर्व और मरण 479 ईसापूर्व माना जाता है ।
 
ये धर्म मुख्यतः सदाचार और दर्शन की बातें करता है, देवताओं और ईश्वर के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं कहता । इसलिये इसे धर्म कहना ग़लत प्रतीत होता है, इसे जीवनशैली कहना अधिक उचित है । ये धार्मिक प्रणाली कभी चीनी साम्राज्य का राजधर्म हुआ करती थी ।थी।
 
==परिचय==
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कनफ़ूशस् के दार्शनिक, सामाजिक तथा राजनीतिक विचारों पर आधारित मत को '''कनफ़ूशीवाद''' या '''कुंगफुत्सीवाद''' नाम दिया जाता है। कनफ़ूशस् के मतानुसार भलाई मनुष्य का स्वाभाविक गुण है। मनुष्य को यह स्वाभाविक गुण ईश्वर से प्राप्त हुआ है। अत: इस स्वभाव के अनुसार कार्य करना ईश्वर की इच्छा का आदर करना है और उसके अनुसार कार्य न करना ईश्वर की अवज्ञा करना है।
 
कनफ़ूशीवाद के अनुसार समाज का संगठन पाँच प्रकार के संबंधों पर आधारित है:
*(१) शासक और शासित,
*(२) पिता और पुत्र,
*(३) ज्येष्ठ भ्राता और कनिष्ठ भ्राता,
*(४) पति और पत्नी, तथा
*(५) इष्ट मित्र
 
इन पाँच में से पहले चार संबंधों में एक ओर आदेश देना और दूसरी ओर उसका पालन करना निहित है। शासक का धर्म आज्ञा देना और शासित का कर्तव्य उस आज्ञा का पालन करना है। इसी प्रकार पिता, पति और बड़े भाई का धर्म आदेश देना है और पुत्र, पत्नी एवं छोटे भाई का कर्तव्य आदेशों का पालन करना है। परंतु साथ ही यह आवश्यक है कि आदेश देनेवाले का शासन औचित्य, नीति और न्याय पर आधारित हो। तभी शासित गण से भी यह आशा की जा सकती है कि वे विश्वास तथा ईमानदारी से आज्ञाओं का पालन कर सकेंगे। पाँचवें, अर्थात् मित्रों के संबंध में पारस्परिक गुणों का विकास ही मूल निर्धारक सिद्धांत होना चाहिए। जब इन संबंधों के अंतर्गत व्यक्तियों के रागद्वेष के कारण कर्तव्यों की अवहेलना होती है तभी एक प्रकार की सामाजिक अराजकता की अवस्था उत्पन्न हो जाती है। मनुष्य में अपने श्रेष्ठ व्यक्तियों का अनुकरण करने का स्वाभाविक गुण है। यदि किसी समाज में आदर्श शासक प्रतिष्ठित हो जाए तो वहाँ की जनता भी आदर्श जनता बन सकती है। कुशल शासक अपने चरित्र का उदाहरण प्रस्तुत करके अपने राज्य की जनता का सर्वतोमुखी सुधार कर सकता है।
 
कनफ़ूशीवाद की शिक्षा में [[धर्मनिरपेक्षता]] का सर्वांगपूर्ण उदाहरण मिलता है। कनफ़ूशीवाद का मूल सिद्धांत इस स्वर्णिम नियम पर आधारित है कि 'दूसरों के प्रति वैसा ही व्यवहार करो जैसा तुम उनके द्वारा अपने प्रति किए जाने की इच्छा करते हो'।
 
[[श्रेणी:चीन]]