"अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक संघ": अवतरणों में अंतर

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'''अखिल भारतीय प्रगतिशील लेखक''' बीसवीं शती के प्रारंभ में भारतीय प्रगतिशील लेखकों का एस समूह था। यह लेखक समूह अपने लेखन से सामाजिक समानता का समर्थक करता था और कुरीतियों अन्याय व पिछड़ेपन का विरोध करता था। इसकी स्थापना [[१९३५]] में लंदन में हुई। इसके प्रणेता सज्जाद ज़हीर थे।
 
 
[[1935]] के अंत तक [[लंदन]] से अपनी शिक्षा समाप्त करके सज्जाद ज़हीर [[भारत]] लौटे। यहाँ आने से पूर्व वे [[अलीगढ़]] में [[डॉ. अशरफ]], [[इलाहबाद]] में [[अहमद अली]], [[मुम्बई]] में [[कन्हैया लाल मुंशी]], [[बनारस]] में [[प्रेमचंद]], कलकत्ता में प्रो. हीरन मुखर्जी और अमृतसर में रशीद जहाँ को घोषणापत्र की प्रतियाँ भेज चुके थे। वे भारतीय अतीत की गौरवपूर्ण संस्कृति से उसका मानव प्रेम, उसकी यथार्थ प्रियता और उसका सौन्दर्य तत्व लेने के पक्ष में थे लेकिन वे प्राचीन दौर के अंधविश्वासों और धार्मिक साम्प्रदायिकता के ज़हरीले प्रभाव को समाप्त करना चाहते थे। उनका विचार था कि ये साम्राज्यवाद और जागीरदारी की सैद्धांतिक बुनियादें हैं। इलाहाबाद पहुंचकर सज्जाद ज़हीर अहमद अली से मिले जो विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रवक्ता थे. अहमद अली ने उन्हें प्रो.एजाज़ हुसैन, रघुपति सहाय फिराक, एहतिशाम हुसैन तथा विकार अजीम से मिलवाया. सबने सज्जाद ज़हीर का समर्थन किया. शिवदान सिंह चौहान और नरेन्द्र शर्मा ने भी सहयोग का आश्वासन दिया. प्रो. ताराचंद और अमरनाथ झा से स्नेहपूर्ण प्रोत्साहन मिला. सौभाग्य से जनवरी 1936 में 12-14 को हिन्दुस्तानी एकेडमी का वार्षिक अधिवेशन हुआ. अनेक साहित्यकार यहाँ एकत्र हुए - सच्चिदानंद सिन्हा, डॉ. अब्दुल हक़, गंगा नाथ झा, जोश मलीहाबादी, प्रेमचंद, रशीद जहाँ, अब्दुस्सत्तार सिद्दीकी इत्यादि।
सज्जाद ज़हीर ने प्रेमचंद के साथ प्रगतिशील संगठन के घोषणापत्र पर खुलकर बात-चीत की. सभी ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। अहमद अली के घर को लेखक संगठन का कार्यालय बना दिया गया. पत्र-व्यव्हार की प्रक्रिया प्रारम्भ हुई. सज्जाद ज़हीर पंजाब के दौरे पर निकल पड़े. इस बीच अलीगढ में सज्जाद ज़हीर के मित्रों -डॉ. अशरफ, अली सरदार जाफरी, डॉ. अब्दुल अलीम, जाँनिसार अख्तर आदि ने स्थानीय प्रगतिशील लेखकों का एक जलसा ख्वाजा मंज़ूर अहमद के मकान पर फरवरी 1936 में कर डाला. अलीगढ में उन दिनों साम्यवाद का बेहद ज़ोर था. वहां की अंजुमन के लगभग सभी सदस्य साम्यवादी थे और पार्टी के सक्रिय सदस्य भी.
 
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