"फ़ैज़ अहमद फ़ैज़": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Bot: Migrating 15 interwiki links, now provided by Wikidata on d:q381296 (translate me) |
|||
पंक्ति 51:
:राह तकता है सब, शहर ए जानां चलो
|
:बोल कि होठ
:बोल,
:तेरा कसा हुआ
:बोल कि
:<br />
:आईए हाथ उठाएँ हम भी
:हम जिन्हें पूजा करने का तरीक़ा याद नहीं
:हम जिन्हें
:कोई बुत कोई भगवान याद नहीं
:<br />
:लाओ, सुलगाओ कोई ग़ज़ब के
:दीवानेपन की आग लाओ
:दहकता हुआ गुलज़ार (फूलों से भरपूर) लाओ
:जिस में गर्मी भी है,
:
:इस अन्धकार में दूरी पर
:मेरी जलाई ज्वाला के शोले बेकार नहीं - वे उन्हें मेरी मौजूदगी के बारे में बताएँगे
:वो मुझे बचाने मुझ तक न भी पहुँच पाए, तो मुझे पुकारेंगे ज़रूर
:इस रात की
:(क़ैद में अकेलेपन में लिखी हुई)
:<br />
:
:के जहाँ चली है
:अगर कोई चाहने वाला सैर को निकले
:नज़र चुरा के चले,
:<br />
:कुछ दिन और मेरी
:ज़ुल्म की छाँव में दम लेने पर मजबूर है हम
:और कुछ देर
:अपने पूर्वजों की देन (करनी का नतीजा) हैं, हम निर्दोष हैं
:<br />
पंक्ति 85:
:हाथ हिलाते हुए चलो, मस्त हुए नाचते हुए चलो
:धुल से भरा हुआ सिर लेकर चलो, ख़ून से लथपथ दामन लेकर चलो
:
|}
|