"संस्कृतीकरण": अवतरणों में अंतर

No edit summary
सन्दर्भ - http://en.wikipedia.org/wiki/Sanskritization
पंक्ति 8:
एम. एन. श्रीनिवास के अनुसार, संस्कृतीकरण केवल नयी प्रथाओं और आदतों का अंगीकार करना ही नहीं है, बल्कि संस्कृत वाङ्मय में विद्यमान नये विचारों और मूल्यों के साथ साक्षात्कार करना भी इसमें आ जाता है। वे कहते हैं कि कर्म, धर्म, पाप, माया, संसार, मोक्ष आदि ऐसे संस्कृत साहित्य में उपस्थित विचार हैं जो कि संस्कृतीकृत लोगों के बोलचाल में आम हो जाते हैं।<ref>Srinivas, Mysore Narasimhachar (1962) ''Caste in Modern India: And other essays'' Asia Publishing House, Bombay, page 48, [http://www.worldcat.org/oclc/5206379 OCLC 5206379]</ref>
 
यह परिघटना [[नेपाल]] में भी खास, मगर, नेवार, थारू लोगों में देखी गयी है।<ref>{{Cite book
| last = Guneratne
| first = Arjun