"धर्मांतरण": अवतरणों में अंतर

पंक्ति 97:
हिंदुत्व धर्मांतरण का समर्थन नहीं करता और इसमें धर्मांतरण के लिये कोई रस्म मौजूद नहीं है. यह स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है कि कोई व्यक्ति हिंदू कब बनता है क्योंकि हिंदुत्व ने कभी भी दूसरे धर्मों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के रूप में नहीं देखा. अनेक हिंदुओं की धारणा यह है कि ‘हिंदू होने के लिये व्यक्ति को हिंदू के रूप में जन्म लेना पड़ता है’ और ‘यदि कोई व्यक्ति हिंदू के रूप में जन्मा है, तो वह सदा के लिये हिंदू ही रहता है’; हालांकि, भारतीय कानून किसी भी ऐसे व्यक्ति को हिंदू के रूप में मान्यता प्रदान करता है, जो स्वयं को हिंदू घोषित करे. हिंदुत्व के अनुसार, केवल एक ही परम सत्य है (इस सत्य या [[ब्रह्म|ब्राह्मण]] का ज्ञान न होना ही शोक का कारण है और आत्माएं तब तक पुनर्जन्म के शाश्वत चक्र में फंसी रहती है, जब तक उन्हें इस सत्य का ज्ञान न हो जाए), और सत्य तक “पहुंचने” के अनेक पथ—अन्य धर्मों द्वारा पालन किये जाने वाले पथों सहित— हैं. धर्म के लिये [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] शब्द “मार्ग” का शाब्दिक अर्थ पथ होता है. धर्मांतरण की अवधारणा ही एक विरोधाभास है क्योंकि हिंदू ग्रंथ [[वेद]] तथा [[उपनिषद् सूची|उपनिषद]] संपूर्ण विश्व को एक ही सत्य को देवता मानने वाला एक परिवार मानते हैं.<ref>(ऋग्वेद 1:164:46) "एकं सत विप्र बहुधा वदंती” - सत्य एक है, साधु उन्हें कई नाम से पुकारते हैं</ref><ref>(महा उपनिषद: अध्याय 6, पद्य 72) "वसुधैव कुटुम्बकं" - पूरी दुनिया एक बड़ा परिवार है</ref>
 
हिंदू धर्म में आस्था के पुनः प्रवर्तन का सबसे पहला उल्लेख [[शंकराचार्य]] के काल में आठवीं शताब्दी का है, जब [[जैन धर्म]] और [[बौद्ध धर्म]] प्रभावी बन गए थे. हिंदू धर्म में आक्रमण और सामूहिक धर्मांतरण का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है. अनेक पीढ़ियों के [[संस्कृतीकरण]] के बाद [[गुज्जर (गुर्जर)|गुज्जरों]], अहोमों और हूणों सहित कई विदेशी समूह हिंदुत्व में धर्मांतरित हुए. पूरी अठारहवीं शताब्दी के दौरान हुए सांस्कृतिकरणसंस्कृतीकरण के परिणामस्वरूप मणिपुर के आदिवासी समुदाय स्वयं को हिंदू मानने लगे.
 
हाल ही में, हिंदुत्व से धर्मांतरित हो चुके लोगों का पुनः धर्मांतरण करने की अवधारणा प्रचलित हुई है. यह पुनः धर्मांतरण सदैव ही अन्य प्रमुख धर्मों के प्रचारीकरण (evangelization), धर्म-परिवर्तन तथा धर्मांतरण गतिविधियों के खतरे की प्रतिक्रिया के रूप में ही होता रहा है; अनेक आधुनिक हिंदू उनके धर्म से (किसी भी) अन्य धर्म में धर्मांतरण के विचार के खिलाफ़ हैं.<ref>{{cite book | title=The Right to Religious Conversion: Between Apostasy and Proselytization |last=Omar |first=Rashid |publisher=Kroc Institute, University of Notre Dame |year=2006 |month=August |page=3 | url=http://kroc.nd.edu/ocpapers/op_27_1.pdf|format=PDF}}{{Dead link|date=June 2010}}</ref> हिंदू पुनर्जागरण आंदोलनों के विकास के परिणामस्वरूप ऐसे लोगों के पुनः धर्मांतरण के कार्य में गति आई है, जो पहले हिंदू थे या जिनके पूर्वज हिंदू रहे थे. [[आर्य समाज]] ([[भारत]]) तथा [[परिषद हिन्दु धर्म|परिषद हिंदू धर्म]] ([[इण्डोनेशिया|इंडोनेशिया]]) जैसे राष्ट्रीय संगठन ऐसे पुनः धर्मांतरणों के द्वारा हिंदू बनने की इच्छा रखने वालों की सहायता करते हैं.