"जल चक्की": अवतरणों में अंतर
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=== 2. आवेगचक्र (Impulse Wheels) और टरबाइन ===
ये किसी नोजल में से निकलनेवाली पानी की अत्यधिक वेगयुक्त प्रधार (jet) की गतिज ऊर्जा द्वारा चलते हैं।
इस प्रकार के आवेगचक्रों का वहीं उपयोग होता है जहाँ पर पानी की मात्रा तो सीमित होती है लेकिन उसका दबाव अत्याधिक होता है। == ब्3. प्रतिक्रिया टरबाइन (Reaction Turbine) -==
इसमें पानी की गतिज ऊर्जा तथा दाब दोनों का ही उपयोग होता है।
ये वहीं लगाए जाते हैं जहाँ परिस्थितियाँ आवेगचक्र तथा आवेग के लिए बताई परिस्थितियों से विपरीत होती हैं, अर्थात् जहाँ पानी अल्प ऊँचाई युक्त होते हुए भी विपुल मात्रा में प्राप्त हो सकता है। इस पानी का ऊँचाई 5 से लेकर 500 फुट तक हो सकता है। जलधारा के प्रवाह तथा गुरुत्वाकर्षण से पैदा ऊर्जा से चलनेवाले चक्रों का
उपयोग तो अब देहातों में कुटीर उद्योगों के उपयुक्त ही समझा जाता है, पहाड़ी स्थानों पर जहाँ निरंतर झरने बहते रहते हैं। इस प्रकार के चक्रों में अध:प्रवाही (Under-shot), पॉन्सले (Poncelet) मध्यप्रवाही (Breast-wheel) और ऊर्ध्वप्रवाही (Over-shot) चक्र प्रमुख हैं, लेकिन बड़ी मात्रा में विद्युदुत्पादन े लिए ये सर्वथा अनुपयुक्त समझे जाते हैं, फिर भी सहायक मोटर के रूप में, बड़े बिजलीघरों में, ऊर्ध्वप्रवाही चक्र का उपयोग, आवश्यकता पड़ने पर, आधुनिक संयंत्रों के साथ किया जाता है।
== अध: प्रवाही चक्र -==
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