"किलाबंदी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Fortyfikacje.jpg|right|thumb|300px|बीसवीं शताब्दी के आरम्भ में किलेबन्दी का चित्रात्मक वर्णन]]
'''किलाबंदी''' (fortification) शत्रु काके प्रतिरोध और उससे रक्षा करने की व्यवस्था का नाम '''किलाबंदी''' (fortification)होता है। इसके अन्तर्गत वे सभी सैनिक निर्माण और उपकरण आ जातेआते हैं जो अपने बचाव के लिए उपयोग किए जाते हैं (न कि आक्रमण के लिए)। वर्तमान समय में किलाबन्दी, [[सैन्य इंजीनियरी]] के अन्तर्गत आती है। यह दो प्रकार की होती है : एक स्थायी और दूसरी अस्थायी। स्थायी किलेबंदी के लिए दृढ़ दुर्गों का निर्माण, जिनमें सुरक्षा के साधन उपलब्ध हो, आवश्यक है। अस्थायी मैदानी किलाबंदी की आवश्यकता ऐसे अवसरों पर पड़ती है जब स्थायी किले को छोड़कर सेनाएँ रणक्षेत्र में आमने सामने खड़ी होती हैं। मैदानी किलाबंदी में बड़ेअक्सर बड़े-बड़े पेड़ों को गिराकर तथा बड़ी बड़ी चट्टानों एवं अन्य साधनों की सहायता से शत्रु के मार्ग में रूकावट डालने का प्रयत्न किया जाता है।
 
== इतिहास ==
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रोमन सैनिकों को शिक्षा दी जाती थी कि वे रात्रि में शिविर लगाते समय खाइयाँ किस प्रकार खोदें और बर्छी तथा नुकीले छड़ों से किलाबंदी किस प्रकार करें। शिविर की रक्षा हेतू प्रत्येक सैनिक के कार्य पृथक्‌ पृथक्‌ होते थे। कभी कभी आधी सेना शत्रु से युद्ध करने में संलग्न हो जाती थी और शेष आधी किसी ऊँचाई पर किलाबंदी के लिए पहुँच जाती थी। नुकीले छड़ों का बाड़ा कुछ नीचा रखा जाता था ताकि उनके पीछे से सैनिक ढाल द्वारा अपनी रक्षा कर सकें। जूलियस सीज़र के गॉल के अभियानों में 14 मील लंबी दीवारों के निर्माण का उल्लेख मिलता हैं।
 
13वीं सदी ई0ईसवी में मंगोलों ने यूरोप में मैदानी किलाबंदी की व्यवस्था को पुन: प्रचलित किया। तैमूर ने भारतवर्ष पहुँचकर दिल्ली पर आक्रमण करने के पूर्व जिस मदानी किलाबंदी की व्यवस्था कराई उसे पुश्तए बहाली कहते हैं। उसने वृक्षों की डालियों तथा छप्परों से दीवारें तैयार कराईं। खाई के समक्ष भैंसों को, गरदन और पाँव बाँधकर डाल दिया। छप्पर के पीछे लगा दिए। जब भारतीय हाथियों की पंक्तियाँ आगे बढ़ी तब उसने सुरक्षा के लिए अपनी सेना की पंक्ति को सामने से खंभों की पंक्ति द्वारा सुरक्षित करा दिया। लोहे के बहुत बड़े-बड़े काँटे तैयार करवाकर पदातियों को इस आशय से दे दिए कि जब हाथी आक्रमण करें तो वे उन काँटों को हाथियों के सामने डाल दें। बंदूक तथा गोले बारूद के आविष्कार के कारण बाबर ने पानीपत के युद्ध में इब्राहीम लोदी की बहुत बड़ी सेना से टक्कर लेने के लिए जिस प्रकार किलाबंदी कराई उसके विषय में वह स्वयं लिखता है कि हमारे दाईं ओर पानीपत नगर तथा उसके मुहल्ले थे। हमारे सामने गाड़ियाँ तथा तोरें (एक प्रकार की ऊँची तिपाइयाँ) थीं, जिन्हें हमने तैयार कराया था। बाईं और तथा अन्य स्थानों पर खाइयाँ एवं वृक्ष की शाखाएँ थीं। एक एक बाण पहुँचने की दूरी तक इतना स्थान छोड़ दिया गया था कि 100-100, 200-200 अश्वारोही वहाँ से छापा मार सकें।
 
[[यूरोप]] में [[नेपोलियन]] को कई स्थायी दुर्गों पर घेरा डालने का विवश होना पड़ा था किंतु चेष्टा यही होती थीं कि वह अपने स्वनिश्चित रणक्षेत्र में शत्रु को ले आए। फ्रीडलैंड के अभियान में रूसी सेनानायक काउंट बान बेनिग्सन ने बाल्टिक सागर से पृथक्‌ हो जाने पर एक शिविर में शरण ली जहाँ उसने तत्काल ही अस्थायी किलाबंदी की व्यवस्था कर ली। नेपोलियन इस अस्थायी मोर्चाबंदी का सही अनुमान न लगा सका और उसने अपने सैनिक आक्रमण के लिए भेज दिए, परंतु वे पराजित हो गए। नेपोलियन ने नए सैनिक भेजकर पुन: आक्रमण किया, किंतु अँधेरा हो जाने के कारण प्रयत्न त्याग देना पड़ा।