"कामसूत्र": अवतरणों में अंतर
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'''कामसूत्र''' महर्षि [[वात्सायन]] द्वारा लिखा गया [[भारत]] का एक प्राचीन [[कामशास्त्र]] ([[:en:Sexology]]) ग्रंथ है। दुनिया भर में यौन बिमारीयों और [[एड्स]] के बढते चलन के कारण इस प्राचीन पुस्तक पर लोगों का खूब ध्यान गया है{{तथ्य}}। खास कर पश्चिम के देशों में यह काफी लोकप्रिय हुआ है और इसे लोगों की उत्सुकता बढी है{{तथ्य}}। कामसूत्र को उसके विभिन्न आसनों के लिए ही जाना जाता है.
महर्षि वात्स्यायन का कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है{{तथ्य}} जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धान्तों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है। अर्थ के क्षेत्र में जो स्थान [[कौटिल्य]] का है, काम के क्षेत्र में वही स्थान महर्षि वात्स्यायन का है। अधिकृत प्रमाण के अभाव में महर्षि का काल निर्धारण नहीं हो पाया है। परन्तु अनेक विद्वानों तथा शोधकर्ताओं के अनुसार महर्षि ने अपने विश्वविख्यात ग्रन्थ कामसूत्र की रचना ईसा की तृतीय शताब्दी के मध्य में की होगी{{तथ्य}}। तदनुसार विगत सत्रह शताब्दिओं से कामसूत्र का वर्चस्व समस्त संसार में छाया रहा है और आज भी कायम है{{तथ्य}}। संसार की हर भाषा में इस ग्रन्थ का अनुवाद हो चुका है{{तथ्य}}। इसके अनेक भाष्य एवं संस्करण भी प्रकाशित हो चुके हैं। वैसे इस ग्रन्थ के
महर्षि के कामसूत्र ने न केवल दाम्पत्य जीवन का श्रृंगार किया है वरन कला, शिल्पकला एवं साहित्य को भी संपदित किया है। राजस्थान की दुर्लभ यौन चित्रकारी तथा खाजुराहो, कोणार्क आदि की जीवन्त शिल्पकला भी कामसूत्र से अनुप्राणित है। रीतिकालीन कवियों ने कामसूत्र की मननोहारी झांकियां प्रस्तुत की हैं तो [[गीत गोविन्द]] के गायक [[जयदेव]] ने अपनी लघु पुस्तिका ‘[[रति-मंजरी]]’ में कामसूत्र का सार संक्षेप प्रस्तुत कर अपने काव्य कौशल का अद्भुत परिचय दिया है{{तथ्य}}।
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