"अरण्यकाण्ड": अवतरणों में अंतर

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[[सीता]] को न पा कर [[राम]] अत्यंत दुखी हुये और विलाप करने लगे। रास्ते में [[जटायु]] से भेंट होने पर उसने [[राम]] को [[रावण]] के द्वारा अपनी दुर्दशा होने व [[सीता]] को हर कर दक्षिण दिशा की ओर ले जाने की बात बताई। ये सब बताने के बाद [[जटायु]] ने अपने प्राण त्याग दिये और राम उसका अंतिम संस्कार करके [[सीता]] की खोज में सघन वन के भीतर आगे बढ़े। रास्ते में [[राम]] ने [[दुर्वासा]] के शाप के कारण [[राक्षस]] बने [[गन्धर्व]] [[कबन्ध]] का वध करके उसका उद्धार किया और [[शबरी]] के आश्रम जा पहुँचे जहाँ पर कि उसके द्वारा दिये गये झूठे बेरों को उसके भक्ति के वश में होकर खाया| इस प्रकार राम सीता की खोज में सघन वन के अंदर आगे बढ़ते गये।
== संबंधित कड़ियाँ ==
* [[MANSI MOREasda]]
* [[अयोध्याकाण्ड]]
* [[अरण्यकाण्ड]]