"ययाति": अवतरणों में अंतर

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[[File:Emperor Yayathi.png|thumb|Emperor Yayathi]]
 
[[इक्ष्वाकु]] वंश के राजा [[नहुष]] के छः पुत्रों [[याति]], '''ययाति''', [[सयाति]], [[अयाति]], [[वियाति]] तथा [[कृति]] में से एक थे। याति राज्य, अर्थ आदि से विरक्त रहते थे इसलिये राजा [[नहुष]] ने अपने द्वितीय पुत्र ययाति का राज्यभिषके करवा दिया। ययाति का विवाह [[शुक्राचार्य]] की पुत्री [[देवयानी]] के साथ हुआ।
 
== ययाति ग्रंथि ==
[[File:Sharmista was questined by Devavayani.jpg|thumb|Sharmista was questined by Devavayani]]
'''ययाति ग्रंथि''' वृद्धावस्था में यौवन की तीव्र कामना की ग्रंथि मानी जाति है। किंवदंति है कि, राजा ययाति एक सहस्त्र वर्ष तक भोग लिप्सा में लिप्त रहे किन्तु उन्हें तृप्ति नहीं मिली। विषय वासना से तृप्ति न मिलने पर उन्हें उनसे घृणा हो गई और उन्हों ने पुरु की युवावस्था वापस लौटा कर वैराग्य धारण कर लिया। ययाति को वास्तविकता का ज्ञान प्राप्त हुआ और उन्होने कहा-
 
"https://hi.wikipedia.org/wiki/ययाति" से प्राप्त