"इलाहाबाद उच्च न्यायालय": अवतरणों में अंतर

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2 नवम्बर 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने अवध सिविल न्यायालय अधिनियम 1925 की गवर्नर जनरल से पूर्व स्वीकृति लेकर संयुक्त प्रान्त विधानमण्डल द्वारा अधिनियमित करवा के इस न्यायालय को '''अवध चीफ कोर्ट''' के नाम से [[लखनऊ]] में प्रतिस्थापित कर दिया।
 
25 फरवरी 1948 को, उत्तर प्रदेश विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल सेद्वारा [[गवर्नर जनरल]] को यह अनुरोध किया गया कि अवध चीफ कोर्ट लखनऊ और इलाहाबाद हाई कोर्ट को मिलाकर एक कर दिया जाये। इसका नतीजा यह हुआ कि लखनऊ और इलाहाबाद के दोनों (प्रमुख व उच्च) न्यायालयों को [[इलाहाबाद उच्च न्यायालय]] नाम से जाना जाने लगा तथा इसका सारा कामकाज इलाहाबाद से चलने लगा। हाँ इतना जरूर हुआ कि हाई कोर्ट की एक स्थाई बेंच लखनऊ में बनी रहने दी गयी जिससे सरकारी काम में व्यवधान न हो।
 
जब [[उत्तराखण्ड]] के राज्य का गठन 2000 में हुआ, उच्च न्यायालय के कार्यक्षेत्र में से उत्तराखण्ड के तेरह जिले निकाल कर [[देहरादूनउत्तराखण्ड उच्च न्यायालय]] हाई कोर्ट से सम्बद्ध कर दिये गये।गये जिसका मुख्यालय [[नैनीताल]] में है।
 
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