"इलाहाबाद उच्च न्यायालय": अवतरणों में अंतर
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[[File:Allahabad high court.jpg|thumb|इलाहाबाद उच्च न्यायालय के भवन का छायाचित्र]]
'''इलाहाबाद उच्च न्यायालय''' मूल रूप से [[ब्रिटिश राज]] में भारतीय उच्च न्यायालय अधिनियम 1861 के अन्तर्गत [[आगरा]] में 17 मार्च 1866 को
2 नवम्बर 1925 को अवध न्यायिक आयुक्त ने अवध सिविल न्यायालय अधिनियम 1925 की गवर्नर जनरल से पूर्व स्वीकृति लेकर संयुक्त प्रान्त विधानमण्डल द्वारा अधिनियमित करवा के इस न्यायालय को '''अवध चीफ कोर्ट''' के नाम से [[लखनऊ]] में प्रतिस्थापित कर दिया। [[काकोरी काण्ड]] का ऐतिहासिक मुकद्दमें का निर्णय अवध चीफ कोर्ट लखनऊ में ही दिया गया था।
25 फरवरी 1948 को, उत्तर प्रदेश विधान सभा ने एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल द्वारा [[गवर्नर जनरल]] को यह अनुरोध किया गया कि अवध चीफ कोर्ट लखनऊ और इलाहाबाद हाई कोर्ट को मिलाकर एक कर दिया जाये। इसका नतीजा यह हुआ कि लखनऊ और इलाहाबाद के दोनों (प्रमुख व उच्च) न्यायालयों को इलाहाबाद उच्च न्यायालय नाम से जाना जाने लगा तथा इसका सारा कामकाज इलाहाबाद से चलने लगा। हाँ इतना जरूर हुआ कि हाई कोर्ट की एक स्थाई बेंच लखनऊ में बनी रहने दी गयी जिससे सरकारी काम में व्यवधान न हो।
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