"लौह युग": अवतरणों में अंतर
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[[File:Korea-Silla-Iron.armor-01.jpg|thumb|230px|[[कोरिया]] के [[सिल्ला]] राज्य के काल से लौह-कवच जो कोरियाई राष्ट्रीय संग्रहालय में रखा हुआ है]]
'''लौह युग''' उस काल को कहते हैं जिसमें मनुष्य ने [[लोहा|लोहे]] का इस्तेमाल किया। [[इतिहास]] में यह युग [[पाषाण युग]] तथा [[कांस्य युग]] के बाद का काल है। पाषाण युग में मनुष्य की किसी भी [[धातु]] का [[खनन]] कर पाने की असमर्थता थी। कांस्य युग में लोहे की खोज नहीं हो पाई थी लेकिन लौह युग में मनुष्यों ने [[तांबे]], [[कांसे]] और लोहे के अलावा कुछ अन्य ठोस धातुओं की खोज तथा उनका उपयोग भी सीख गया था। विश्व के
इस युग की विशेषता यह है कि इसमें मनुष्य ने विभिन्न भाषाओं की [[वर्णमाला|वर्णमालाओं]] का विकास किया जिसकी मदद से उस काल में साहित्य और इतिहास लिखे जा सके। [[संस्कृत]] और [[चीनी भाषा|चीनी]] भाषाओं का साहित्य इस काल में फला-फूला। [[ऋग्वेद]] और [[अवस्ताई भाषा|अवस्ताई]] गाथाएँ इसी काल में लिखी गई थीं। कृषि, धार्मिक विश्वासों और कलाशैलियों में भी इस युग में भारी परिवर्तन हुए।<ref name="TJEB">The Junior Encyclopædia Britannica: A reference library of general knowledge. (1897). Chicago: E.G. Melvin.</ref><ref>C. J. Thomsen and Jens Jacob Asmussen Worsaae first applied the system to artifacts.</ref>
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