"भारतीय वाहन पंजीकरण पट्ट": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:IndiaStatesByRTOcodes.png|thumb|300px|भारत के द्वि-वर्ण राज्य कूट]]
[[भारत]] में सभी मोटरचालित वाहनों को एक पंजीकरण संख्या (या लाइसेंस नम्बर) दिया जाता है। लाइसेंस पट्ट को नामपट्ट भी कहते हैं। यह संख्या सभी प्रदेशों में जिला स्तर के [[क्षेत्रीय परिवहन
==प्रारूप==
[[चित्र:Indian Vehicle Registration Plates Demo.png|150px|thumb|भारत में काम में ली जाने वाले विभिन् वाहन पंजीकरण पट्ट व उनके प्रकार]]
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यहाँ DL दिल्ली का दो कूट अक्षर हैं। अतिरिक्त C (वाहन श्रेणी के लिए) एक अक्षर है जो द्वि-चक्र वाहनों के लिए 'S' (एस), कारों और खेल उपयोगिता वाहनों के लिए 'C' (सी), सार्वजनिक यात्री वाहनों जैसे बसों के लिए 'P' (पी), त्रिचक्र वाहनों जैसे रिक्शा के लिए 'R' (आर), पर्यटन लाइसेंस वाहनों और टैक्सियों के लिए 'V' (वी) तथा पिकअप ट्रक, वैन और किराये पर किए जाने वाले वाहनों के लिए 'Y' (वाय) काम में लिया जाता है। यह प्रणाली अन्य राज्यों में भी लागू होता है। (उदाहरण के लिए राजस्थान जहाँ का कूट 'RJ' (आरजे) दो अक्षर का कूट है और 'P'' यात्री वाहनों के लिए और 'Y' भाड़ा वाहनों के लिए है।)
==दो अक्षर का राज्यवार कूट==
भारत के सभी राज्य और [[भारत के संघ राज्यक्षेत्र|केन्द्र शासित प्रदेश]] सभी अपने-अपने दो अक्षर वाले कूट रखते हैं। यह दो अक्ष्ररों वाला प्रसंग 1980 में हरकत में आया। उससे पूर्व प्रत्येक जिला और क्षेत्रीय परिवहन
[[चित्र:Motorcycles_of_Three_Indian_States.JPG|500px|center|thumb|भारत के तीन राज्य मध्यप्रदेश (MP), कर्णाटक (KA) और तमिलनाडु (TN) के पंजीकरण पट्ट]]
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