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<div style="font-size:94%;border:none;margin: 0;padding:.1em;color:#000">[[File:Albert Einstein 1979 USSR Stamp.jpg|left|100px|अल्बर्ट आइंस्टीन के लिए USSR का पोस्ट स्टेम्प]]</div>
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'''[[विशिष्ट आपेक्षिकता|विशिष्ट आपेक्षिकता सिद्धांत]]''' गतिशील वस्तुओं में वैद्युतस्थितिकी पर अपने शोध-पत्र में [[ऐल्बर्ट आइनस्टाइन|अल्बर्ट आइंस्टीन]] ने १९०५ में प्रस्तावित [[जड़त्वीय निर्देश तंत्र]] में मापन का एक भौतिक सिद्धांत दिया। [[गैलीलियो गैलिली]] ने अभिगृहीत किया था कि सभी समान गतियाँ सापेक्षिक हैं और यहाँ कुछ भी निरपेक्ष नहीं है तथा कुछ भी विराम अवस्था में भी नहीं है, जिसे अब गैलीलियो का आपेक्षिकता सिद्धांत कहा जाता है। आइंस्टीन ने इस सिद्धांत को विस्तारित किया, जिसके अनुसार प्रकाश का वेग निरपेक्ष व नियत है, यह एक ऐसी घटना है जो माइकलसन-मोरले के प्रयोग में हाल ही में दृष्टिगोचर हुई थी। उन्होने एक अभिगृहीत यह भी दिया कि यह सभी [[भौतिक नियम]], यांत्रिकी व स्थिरवैद्युतिकी के सभी नियमों, वो जो भी हों, समान रहते हैं। इस सिद्धांत के परिणामों की संख्या वृहत है जो प्रायोगिक रूप से प्रेक्षित हो चुके हैं, जैसे- समय विस्तारण, लम्बाई संकुचन और समक्षणिकता। इस सिद्धांत ने निश्चर समय अन्तराल जैसी अवधारणा को बदलकर निश्चर दिक्-काल अन्तराल जैसी नई अवधारणा को जन्म दिया है। इस सिद्धांत ने क्रन्तिकारी द्रव्यमान-ऊर्जा सम्बन्ध E=m''c''<sup>2</sup>&nbsp; दिया, जहां ''c'' निर्वात में प्रकाश का वेग है, यह सूत्र इस सिद्धांत के दो अभिगृहीतों सहित अन्य भौतिक नियमों का सयुंक्त रूप से व्युत्पन है। आपेक्षिकता सिद्धांत की भविष्यवाणियाँ न्यूटनीय भौतिकी के परिणाम को सहज ही उल्लेखित करते हैं। '''[[विशिष्ट आपेक्षिकता|विस्तार से पढ़ें...]]'''</div>