"ध्यान": अवतरणों में अंतर
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विशेष :- ध्यान दें जब तक मन में विचार चलते हैं तभी तक आँख की पुतलियाँ इधर-उधर चलती रहती हैं. और जब तक आँख की पुतलियाँ इधर-उधर चलती हैं तब तक हमारे मन में विचार उत्पन्न होते रहते हैं. जैसे ही हम मन में चल रहे समस्त विचारों को रोक लेते हैं तो आँख की पुतलियाँ रुक जाती हैं. इसी प्रकार यदि आँख की पुतलियों को रोक लें तो मन के विचार पूरी तरह रुक जाते हैं. और मन व आँख की पुतलियों के रुकते ही आत्मा का प्रभाव ज्योति के रूप में दीख पड़ता है.
- गीतोपदेश अ. ६ श्लोक १२ से 15
===चिंता से छुटकारा===
वैज्ञनिकों के अनुसार ध्यान से व्यग्रता का ३९ प्रतिशत तक नाश होता है और मस्तिष्क की कार्य क्षमता बढ़ती है। बौद्ध धर्म में इसका उल्लेख पहले से ही मिलता है।<ref>{{cite web | url= http://www.thehindu.com/sci-tech/science/scientists-decode-how-meditation-relieves-anxiety/article4784600.ece |title= साइंटिस्ट्स डिकोड हाउ मैडिटेशन रिलिव्ज एंग्जायटी |publisher= [[द हिन्दू]] |date= 5 जून 2013 |accessdate= 5 जून 2013 |author = |location = ([[वाशिंगटन]])}}</ref>
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