"तुषारी भाषाएँ": अवतरणों में अंतर

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== शाखाएँ ==
तुषारी में लिखी हुए तीसरी से लेकर नौवी सदी ईसवी तक की पांडुलिपियों के आधार पर तुषारी भाषाओँ की दो शाखाएँ मिलती हैं, जिनके बोलने वाले एक-दुसरे को नहीं समझ सकते थे:
* तुषारी 'ए' (<small>Tocharian A</small>) - इसे अग्नेआई (<small>Agnean</small>) या पूर्वी तुषारी भी कहते हैं, हालाँकि इसे तुषारी में 'आरशी' बुलाया जाता था। यह आधुनिक [[शिनजियांग]] के [[काराशहर]] और [[तुरफ़ान]] इलाक़े में बोली जाती थी। काराशहर का पुराना नाम 'अग्नि' (<small>Agni</small>) था ([[संस्कृत]] में 'अग्निदेश')।
* तुषारी 'बी' (<small>Tocharian B</small>) - उसे कूचेआई (<small></small>) या पश्चिमी तुषारी भी कहते हैं। यह शिजियंग के [[आक़्सू विभाग]] के कूचा क्षेत्र में बोली जाती थी और कुछ हद तक तुषारी 'ए' के क्षेत्र में भी बोली जाती थी।
[[भाषावैज्ञानिक]] मानते हैं की यह दोनों एक ही आदिम-तुषारी भाषा से उत्पन्न हुईं जो शायद १००-१००० ईसापूर्व के काल में बोली जाती हो।