"कल्प": अवतरणों में अंतर

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चारों युगों के एक चक्कर को चतुर्युगी अथवा पर्याय कहते हैं । १‚००० चतुर्युगी अथवा पर्यायों का एक कल्प होता है । ब्रह्मा के एक मास में तीस कल्प होते हैं जिनके अलग-अलग नाम हैं, जैसे [[श्वेतवाराह कल्प]], [[नीललोहित कल्प]] आदि । प्रत्येक कल्प के १४ भाग होते हैं और इन भागों को '[[मन्वन्तर|मन्वंतर]]' कहते हैं । प्रत्येक मन्वंतर का एक [[मनु]] होता है, इस प्रकार स्वायंभुव, स्वारोचिष्‌ आदि १४ मनु हैं । प्रत्येक मन्वंतर के अलग-अलग सप्तर्षि, इद्रं तथा इंद्राणी आदि भी हुआ करते हैं । इस प्रकार ब्रह्मा के आज तक ५० वर्ष व्यतीत हो चुके हैं, ५१वें वर्ष का प्रथम कल्प अर्थात्‌ श्वेतवाराह कल्प प्रारंभ हुआ है । वर्तमान मनु का नाम 'वैवस्वत मनु' है और इनके २७ चतुर्युगी बीत चुके हैं, २८ वें चतुर्युगी के भी तीन युग समाप्त हो गए हैं, चौथे अर्थात्‌ कलियुग का प्रथम चरण चल रहा है ।
 
[[युग|युगों]] की अवधि इस प्रकार है - [[सत्युग]] १७,२८,००० वर्ष; [[त्रेता]] १२,९६,००० वर्ष; [[द्वापर]] ८,६४,००० वर्ष और [[कलियुग]] ४,३२,००० वर्ष । अतएव एक कल्प १००० चतुर्युगों के बराबर यानी चार अरब बत्तीस करोड़ (4,32,00,00,000) मानव वर्ष का हुआ ।
 
== विभाजन ==
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