"पिप्पली": अवतरणों में अंतर

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'''पिप्पली''' (जैविक नाम:''Piper longum''), (''लॉन्ग पाइपर''), पाइपरेसी परिवार के पुष्पीय पौधे का सदस्य है। इसकी खेती इसके फ़ल के लिये की जाती है। इस फ़ल को सुखाकर मसाले, छौंक एवं औदषधीय गुणों के लिये [[आयुर्वेद]] में प्रयोग किया जाता है। इसका स्वाद अपने परिवार के ही एक सदस्य [[काली मिर्च]] जैसा ही किन्तु उससे अधिक तीखा होता है। इस परिवार के अन्य सदस्यों में दक्षिणी या सफ़ेद मिर्च, गोल मिर्च एवं ग्रीन पैपर भी हैं। इनके लिये अंग्रेज़ी शब्द पैपर इनके संस्कृत एवं तमिल/मलयाली नाम पिप्पली से ही लिया गया है। <ref>{{Cite journal | url = http://books.google.com/?id=kt1Rp1eXRxoC&pg=PA137&dq=pippali+dravidian#v=onepage&q=pippali%20dravidian&f=false | title = द्रविड़ियन इण्डिया | isbn = 9788120601352 | author1 = शेष अयंगार | first1 = टी.आर | year = 1989}}</ref><ref>{{Cite journal | url = http://books.google.com/?id=UmMnh1XKJjQC&pg=PA14&dq=pippali+dravidian#v=onepage&q=pippali%20dravidian&f=false | title = इण्टरकोर्स बिटवीन इण्डिया एण्ड वैस्टर्न वर्ल्ड: From the Earliest Times of the Fall of Rome | isbn = 9788120615496 | author1 = रॉलिन्सन | first1 = एच.जी | date = 2001-05-01}}</ref><ref>{{Cite journal | url = http://books.google.com/?id=LnoREHdzxt8C&pg=PA14&dq=pippali+dravidian#v=onepage&q=pippali%20dravidian&f=false | title = Antiquities of India: An Account of the History and Culture of Ancient Hindustan | isbn = 9788171564422 | author1 = बार्नॅट्ट | first1 = लियोनैल डी | date = 1999-01-01}}</ref>
विभिन्न भाषाओं में इसके नाम इस प्रकार से हैं:
संस्कृत पिप्पली, [[हिन्दी]]- पीपर, पीपल, [[मराठी]]- पिपल, [[गुजराती]]- पीपर, बंगला[[बांग्ला]]- पिपुल, [[तेलुगू]]- पिप्पलु, तिप्पली, [[फारसी]]- फिलफिल। [[अंग्रेज़ी]]- लांग पीपर, लैटिन- पाइपर लांगम। >~~ पिप्पली के फल कई छोटे फलों से मिल कर बना होता है, जिनमें से हरेक एक खसखस के दाने के बराबर होता है। ये सभी मिलकर एक [[:w:hazel|हेज़ल वृक्ष]] की तरह दिखने वाले आकार में जुड़े रहते हैं। इस फ़ल में ऍल्कलॉयड पाइपराइन होता है, जो इसे इसका तीखापन देता है। इसकी अन्य प्रजातियाँ जावा एवं इण्डोनेशिया में पायी जाती हैं।