"गैस टर्बाइन": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:Turboprop.png|300px|right|thumb|गैस टर्बाइन और उसके विभिन्न भाग : A-प्रोपेलर, B-गीयर, C-कंप्रेसर, D-ज्वालक (कंबस्टर), E-टर्बाइन, F-निकास]]
 
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==गैस टरबाइन की उष्मागतिकी (Thermodynamics)==
[[चित्र:Brayton cycle.svg|right|thumb|300px| '''ब्रेसन चक्र''' (Brayton cycle)]]
वास्तव में गैस टरबाइन एक [[अन्तर्दहन इंजन]] ही है। इसमें एक सबसे पहले एक घूर्णी संपीडक (rotating compressor) होता है, उसके बाद ज्वलन कक्ष होता है और अन्त में एक टरबाइन।
गैस टरबाइन का सबसे सरल रूप सामने के चित्र में दिखाया गया है। वायुमंडल से [[वायु]] संपीडक में प्रवेश करती है, जहाँ इसका संपीड़न (कम्प्रेशन) होता है। संपीडित वायु को दहनकक्ष में लाया जाता है, जिसमें [[ईंधन]] की सहायता से वायु गरम की जाती है। दहन कक्ष से निकलकर गरम वायु टरबाइन में जाती है एवं इस यंत्र के द्वारा कार्य करती है। कार्य करने के बाद वायु बाहर निकल जाती है।
 
गैस टरबाइन का काम करने का सिद्धान्त भाप शक्ति संयंत्र के काम करने के सिद्धान्त से मिलता-जुलता है। अन्तर बस इतना है कि यहाँ भाप के स्थान पर हवा का उपयोग होता है।
 
गैस टरबाइन का सबसे सरल रूप सामने के चित्र में दिखाया गया है। वायुमंडल से [[वायु]] संपीडक में प्रवेश करती है, जहाँ इसका संपीड़न (कम्प्रेशन) होता है। संपीडित वायु को दहनकक्ष में लाया जाता है, जिसमें [[ईंधन]] की सहायता से वायु गरम की जाती है। दहन कक्ष से निकलकर गरम वायु टरबाइन में जाती है एवं इस यंत्र के द्वारा कार्य करती है। कार्य करने के बाद वायु बाहर निकल जाती है।
आदर्श गैस टर्बाइन से गुजरने वाली गैसों पर तीन ऊष्मागतिक प्रक्रियाएँ की जाती हैं, ये हैं-
# समऐन्ट्रॉपिक संपीडन (isentropic compression)