"टिटहरी": अवतरणों में अंतर

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जीनस प्रोसीओबेनिया (1 वर्तमान प्रजातियों, 3-5 विलुप्त)
*'''काइलिदृड्स और टर्नस्टोन्स'''
ज्यादातर कई पीढ़ियों में विभाजित किया जा सकता है जो कैलिड्रिस में लगभग 25 प्रजातियों. वर्तमान में स्वीकार अन्य पीढ़ी : एरेनारिया टर्नस्टोन्स -2 के अलावा, अफरिजा, यूरिनोर्हिंचास, लिमिकोला,त्रिङ्गिट्स और फिलोमेचस हैं।<ref>{{cite journal|authorlinkauthor=अलेक्ज़ेंडर वट्मोर|last=वट्मोरe|first=अलेक्ज़ेंडर|year=1937|title= The Eared Grebe and other Birds from the Pliocene of Kansas(हिन्दी अनुवाद: कान ग्रेब और कान्सास के प्लिओसीन से अन्य पक्षी)|journal=Condor (journal)||volume=39|issue=1|page= 40|url=http://sora.unm.edu/sites/default/files/journals/condor/v039n01/p0040-p0040.pdf|format=PDF}}</ref>|group="note"}}
 
'''इसी प्रकार दक्षिण [[एशिया]] में नौ प्रकार की टिटहरियाँ पायी जाती है :'''
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[[लाल]] और [[पीले]] गलचर्म वाली टिटहरी काफी आम है और बहुतायात में पायी जाती है । [[लाल]] गलचर्म वाली टिटहरी की आँखों के आगे [[लाल]] मांसल तह होती है, जबकि पीले रंग की टिटहरी की आँखों के सामने चमकीले पीले [[रंग]] की मांसल तह और काली [[टोपी]] होती है । [[मादा]] टिटहरियों का कद [[नर]] की तुलना मे छोटा और [[रंग]] फीका होता है ।
 
==प्रवृतियाँ==
टिटहरियाँ बाहरी आक्रमण के प्रति निरंतर सजग रहती हैं और ख़तरा भांपते ही शोर मचाती हैं। लाल गलचर्म वाली टिटहरी का शोर सबसे अधिक तेज़ व वेधक होता है। टिटहरियाँ आक्रांता पर झपट पड़ती हैं और विशेष तौर पर घोंसला क़रीब होने पर उनके चारों तरफ उत्तेजित होकर चक्कर लगाती हैं। नवजातों को शिकारियों की नज़र से बचाने के लिए छद्म आवरण में रखा जाता है। किसी भी शिकारी के आने पर माता-पिता चूज़ों को मरने का स्वांग करने का संकेत देते हैं। यही तकनीक [[लोमड़ी]] जैसे अन्य [[पशु]] भी अपनाते हैं। उभरे हुए पंखों वाली टिटहरी के [[मगरमच्छ]] के खुले जबड़े के भीतर प्रवेश करने के प्रसंग विवादास्पद हैं, लेकिन हो सकता है कि ये मगर के दांतों और मसूड़ों से [[जोंक]] निकालती हों, लेकिन इन्हें कभी भी मुंह के भीतर घुसते हुए नहीं देखा गया है और [[मगरमच्छ]] के जबड़ों के पास या भीतर झुका हुआ कम ही पाया गया है। ये चीख़ मारकर [[मगरमच्छ]] को शिकारी के आगमन से आगाह करती है। दलदल और खुले मैदानों के लुप्त होने, चूजों, अंडों को खाए जाने, शिकारी व जाल में फंसाने तथा कीटनाशकों व [[प्रदूषण]] के कारण टिटहरी विलुप्तप्राय प्रजाति बन गई है। टिटहरी के पर्यावास को बचाने के लिए और अन्य जलपक्षियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रेखाकिंत करने के लिए संरक्षणवादी प्रयास कर रहे हैं ।