"उपसहसंयोजक यौगिक": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Bot: Migrating 31 interwiki links, now provided by Wikidata on d:q238156 (translate me) |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 1:
[[चित्र:Cisplatin-3D-balls.png|right|thumb|300px|सिसप्लेटिन,
▲[[चित्र:Cisplatin-3D-balls.png|right|thumb|300px|सिसप्लेटिन, PtCl2(NH3)2 इसमें एक प्लेटिनम परमाणु के साथ चार संलग्नी (लिगण्ड) हैं।]]
[[रसायन विज्ञान]] में '''उपसहसंयोजक यौगिक''' (coordination complex या metal complex) उन [[यौगिक|यौगिकों]] को कहते हैं जिनमें कोई [[परमाणु]] या [[आयन]] (प्रायः धात्विक) उसको घेरे हुए अणुओं या धनायनों के व्यूह (array ) से जुड़ा हो। बहुत से धातु-युक्त यौगिक उपसहसंयोजक यौगिक ही हैं।
'उपसहसंयोजक यौगिक' का और अधिक व्यापक परिभाषा यह है -
: उपसहसंयोजक यौगिक वह है जिसमें कोई परमाणु अपने आक्सीकरण संख्या से भी अधिक संख्या वाली रासायनिक वस्तुओं (chemical species) से बन्धन बनाता है।
अनेकों प्रकार के उपसहसंयोजक यौगिक मौजूद हैं जिनमें जलीय विलयन में धातु (जल के अणुओं से उपसहसंयोजित) से लेकर विभिन्न जैवरासायनिक प्रक्रियाओं में भाग लेने वाले जटिल धात्विक [[एंजाइम]] आदि हैं।
उपसहसंयोजक बन्ध तब बनता है जब साझेदारी में जब एक ही तत्व द्वारा दोनों इलेक्ट्रान दिये जायँ। जो तत्व इलेक्ट्रान युग्म देता है वह दाता (donor) है और दूसरा वाला ग्राही (acceptor) है। इसे प्राय: तीर द्वारा (->) प्रदर्शित किया जाता है। [[हाइड्रोजन पराक्साइड]], [[सल्फर डाइआक्साइड]], हाइड्रोनियम आयन, फेरोसायनाइड आदि इसके कुछ उदाहरण हैं।
== परिचय ==
घनात्मक आयन, विशेषत: जब वे छोटे और उच्च आवेशित होते हैं, पार्श्ववर्ती ऋणात्मक आयनों अथवा उदासीन अणुओं से, जिनमें 'असाझी' (unshared) इलेक्ट्रॉन रहते हैं, इलेक्ट्रॉन आकर्षित करते हैं। यदि आकर्षण अधिक है, तो धात्विक आयन और अन्य समूहों के बीच इलेक्ट्रॉन साझी हो जाता है। धात्विक आयन को यहाँ 'ग्राही' (acceptor) और अन्य समूह को 'दाता' (donor) कहते हैं। जब प्लैटिनिक क्लोराइड को अमोनिया के साथ उपचारित किया जाता है तब ऐसा ही यौगिक, हेक्सामिनिक प्लैटिनिक हेक्साक्लोराइड, बनता है।
रासायनिक संयोग का बनना ऐसे बने यौगिकों के रंग, विलेयता, और अन्य गुणों की विभिन्नता से जाना जाता है। ऐसे बने प्लैटिनम के यौगिक में न प्लैटिनम के और न क्लोरीन के ही परीक्षक लक्षण पाए जाते हैं। जिन समूहों में असाझी इलेक्ट्रॉन रहते हैं, वे हैं अमोनिया (
== उपसहसंयोजकता ==
Line 200 ⟶ 198:
== उपयोग ==
उपसहसंयोजक-यौगिक अनेक प्रकार के होते हैं। इनमें से कुछ बड़े उपयोगी सिद्ध हुए हैं। इनका उपयोग उत्तरोत्तर बढ़ रहा है। भारी धातुओं के ऐसे ही संमिश्र साइआनाइड [[विद्युत लेपन]] में काम आते हैं। अनेक ऐसे यौगिक महत्व के [[वर्णक]] हैं। प्रशीयन ब्ल्यू, [[हीमोग्लोबिन]], [[क्लोरोफिल]] आदि ऐसे ही वर्णक हैं। कुछ यौगिक, विशेषत: अंतराल लवण, धातुओं को पहचानने, पृथक् करने तथा उनकी मात्रा निर्धारित करने आदि में काम आते हैं।
== सन्दर्भ ==
|