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'''दीव''' [[दीव जिला|दीव जिले]] में स्थित एक क़स्बा है जो की केन्द्रशासित प्रदेश [[दमन और दीव]] में है. यह दीव द्वीप के पूर्वी किनारे पर है जो कि पुर्तगाली किले व कैथ्रेडल के लिए जाना जाता है.
==इतिहास==
दीव पुर्तगाली आगमन के समय एक बड़ा व्यापारिक केंद्र था. १५१३ और १५३१ में यहाँ पर पुर्तगालियों ने यहाँ चौकियां बनाने की कोशिश की, किन्तु वे असफल रहे. बाद में गुजरात के बादशाह [[बहादुर शाह, गुजरात|बहादुर शाह]] ने [[मुगल साम्राज्य|मुगल सम्राट]] [[हुमायूँ]] अपने राज्य की रक्षा के लिए पुर्तगालियों के साथ समझौता किया, जिसके तहत दीव द्वीप १५३५ में पुर्तगालियों को दे दिया गया. पुर्तगालियों ने यहाँ पर [[दीव किला]] बनाया और चारों ओर एक चाहदिवारी बनाई. परन्तु गुजरात के सुल्तान को अपनी उदारता पर जल्द ही पछतावा हुआ और उसने पुर्तगालियों से युद्ध किया. इस युद्ध में वह मारा गया. १५३७ और १५४६ के मध्य सुल्तान के द्वारा पुर्तगालियों को हटाने का प्रयास विफल हुआ. १५३८ में [[उस्मानी साम्राज्य|तुर्क साम्राज्य]] दीव की घेराबंदी,जो की पुर्तगालियों ने की थी,तोड़ने में असफल रहा.
कोजा सोफार ने दूसरी बार दीव की घेराबंदी की और इसे तुर्क तोड़ने में असफल रहे. इसके बाद दीव की किलेबंदी हो गयी और १७वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में इसने अरब और डचों के आक्रमण सहे.
दीव १५३५ से १९६१ तक पुर्तगालियों के कब्जे में रहा. १९६१ में [[भारत सरकार]] द्वारा चलाये ऑपरेशन विजय के तहत [[गोवा]] और [[दमन]] के साथ यह द्वीप भी [[भारत]] में शामिल हो गया.
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