"गैसों का अणुगति सिद्धान्त": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) |
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== अणुगति सिद्धान्त की मान्यताएँ (Postulates) ==
[[आदर्श गैस|आदर्श गैसों]] के लिये यह सिद्धान्त निम्नलिखित मान्यताओं (assumptions) पर आधारित है-
* गैस बहुत ही छोटे कणों से मिलकर बनी है जिनका [[द्रव्यमान]] '''शून्य नहीं''' है।
* अणुओं की संख्या इतनी अधिक है कि सांख्यिकीय निरूपण का प्रयोग किया जा सकता है।
* ये अणु लगातार [[यादृच्छ गति]] कर रहे हैं। तेजी से गति करते हुए ये अणु बर्तन की दीवार से लगातार टकराते रहते हैं।
* बर्तन की दीवारों के साथ गैस के अणुओं का [[संघट्टा]]] पूर्ण प्रत्यास्थ संघट्ट है।
* अणुओं के बीच परस्पर अन्योन्यक्रिया नगण्य है। संघट्ट को छोड़कर किसी अन्य स्थिति में वे एक-दूसरे पर कोई बल नहीं लगाते ।
* बर्तन के आयतन की तुलना में गैस के अणुओं का अपना आयतन नगण्य है। दूसरे शब्दों में, गैस के कणों के बीच की औसत दूरी उन कणों के अपने आकार की तुलना में बहुत अधिक है।
* अणुओं का आकार पूर्णतः [[गोला|गोल]] है। उनकी प्रकृत्ति पूर्णतः प्रत्यास्थ है।
* गैस के कणों की औसत [[गतिज ऊर्जा]] केवल उस निकाय के [[तापमान]] पर निर्भर करती है।
* [[विशिष्ट आपेक्षिकता|आपेक्षिक प्रभाव]] नगण्य हैं।
* [[क्वाण्टम यांत्रिकी|क्वाण्टम यांत्रिक]] प्रभाव नगण्य हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि कणों के बीच की दूरी [[डी ब्रागली तरंगदैर्घ्य]] की तुलना में बहुत अधिक है, और अणुओं को चिरसम्म्त यांत्रिकी के पिण्डॉं की तरह माना जा सकता है।
* बर्तन की दीवारों के साथ अणुओं के संघट्ट का समय, दो संघट्टों के बीच के औसत समय की तुलना में नगण्य है।
* अणुओं के गति के समीकरण काल-व्युत्क्रमणीय (time-reversible) हैं।
== अणुगति सिद्धान्त का मूलभूत समीकरण ==
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