"उत्तर भारत बाढ़ २०१३": अवतरणों में अंतर

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==उत्पत्ति==
[[हिमाचल प्रदेश]] और [[उत्तराखंड]] राज्य अपेक्षाकृत दूरस्थ और [[वन]], [[पर्वत]] श्रेणियों तथा [[बर्फ]] से ढके चोटियों से भरे हुए हैं। यहाँ कई तीर्थ स्थलों के साथ-साथ देश-विदेश के पर्यटकों के आकर्षण हेतु प्राकृतिक दृश्य विद्यमान है । 17 जून 2013 को उत्तराखंड राज्य में हुयी अचानक मूसलधार वर्षा 340 मिलीमीटर दर्ज की गयी जो सामान्य बेंचमार्क 65.9 मिमी से 375 प्रतिशत ज्यादा थी जिसके कारण [[बाढ़]] की स्थिति उत्पन्न हुयी।<ref>http://m.ibnlive.com/news/uttarakhand-rescue-efforts-in-full-swing-toll-58-70000-stranded/399846-3.html</ref>इसी दौरान अचानक उत्तरकाशी में बादल फटने के बाद असिगंगा और भागीरथी में जल स्तर बढ़ गया । वहीं लगातार होती रही बारिश की वजह से [[गंगा]] और [[यमुना]] का जल स्तर भी तेजी से बढ़ा । [[कुमाऊं]] हो या [[गढ़वाल]] मंडल, बारिश हर जगह बेतरह होती रही। <ref name=ibn1>{{cite news|title=Uttarakhand floods, landslides leave 40 dead; over 60,000 stranded|url=http://ibnlive.in.com/news/uttarakhand-floods-landslides-leave-40-dead-over-60000-stranded/399619-3-243.html|accessdate=21 जून 2013|newspaper=आई बी एन लाइव|date=18 जून 2013}}</ref>[[हरिद्वार]] में भी [[गंगा]] खतरे के निशान के करीब पहुंच गई जिसके चलते [[गंगा]] तट पर बसे सैकड़ों गांवों में [[बाढ़]] का पानी घुस गया। नतीजा जनजीवन ठहर सा गया। [[हिमाचल प्रदेश]] यद्यपि [[उत्तराखंड]] का पड़ोसी राज्य है इसलिए इसका व्यापक प्रभाव वहाँ देखा गया । गर्मियों के दौरान [[बर्फ]] पिघलने से जून के महीने में अमूमन यहाँ का मौसम नम होता है, किन्तु व्यापक [[आपदा]] की स्थिति से मौसम विभाग का पूर्वानुमान ही सुरक्षा कवच बन सकता था । भारी बारिश के बारे में सरकारी एजेंसियों और भारतीय [[मौसम विज्ञान]] विभाग द्वारा पहले से व्यापक प्रचार नहीं दिया गया । इस वजह से हजारों लोगों के जीवन और संपत्ति का भारी नुकसान हुआ।
 
==जान-माल का नुकसान==