"भाप का इंजन": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
छो Bot: Migrating 83 interwiki links, now provided by Wikidata on d:q12760 (translate me) |
अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 41:
== भाप इंजन का कार्यसिद्धांत (working principle) ==
[[चित्र:Steam locomotive work.gif|center|500px|thumb|भाप की शक्ति से चलने वाली गाड़ी का कार्यसिद्धान्त]]
ऊष्मा इंजन की अधिकतम दक्षता '''(T1-T2 )/T1''' होती है जिसमें
[[चित्र:Steam engine in action.gif|right|thumb|300px|भाप के इंजन का चालित-चित्र]]
बॉयलर से भाप उच्च दाब पर भापपेटी (steam chest) में प्रवेश करती है। पिस्टन जैसे ही स्ट्रोक (stroke) के अंत में पहुँचता है, उसी समय वाल्व चलता है, जिसमें भापद्वार (steam port) खुल जाता है एवं भाप सिलिंडर में प्रवेश करती है। भाप की दाब द्वारा धक्का दिए जाने से पिस्टन आगे बढ़ता हे। इसे अग्र स्ट्रोक (forward stroke) कहते हैं। पिस्टन की चाल द्वारा क्रैंक, क्रैंक शाफ्ट एवं उत्केंद्रक (eccentric) चलते हैं। उत्केंद्रक के चलने से द्वार कुछ और अधिक खुल जाता है। सिलिंडर में भाप तब तक प्रवेश करती रहती है जब तक द्वार एकदम बंद नहीं हो जाता। इस समय विच्छेद (cut off) होता है एवं इसके बाद सिलिंडर में भाप का संभरण (supply) नही हो पाता। सिलिंडर में आई हुई भाप अब प्रसारित होती है एवं इस प्रसार में भाप का आयतन बढ़ जाता है एवं दाब कम हो जाती है। इसी प्रकार के समय भाप कार्य करती है। अग्र स्ट्रोक के अंत में वाल्व भापद्वार को निकास की ओर खोल देता है, जिससे भाप निर्मुक्त होती है। निकली हुई भाप की दाब पश्च दाब (back pressure) के बराबर हो जाती है। निर्मोचन होने के कुछ क्षण के बाद पिस्टन पीछे की ओर लौटता है एवं इसे प्रत्यावर्तन स्ट्रोक (return stroke) कहते हैं। इस स्ट्रोक में लौटते समय पिस्टन सिलिंडर में बची हुई भाप का निकास करता जाता है। जब पिस्टन इस स्ट्रोक के अंत पर पहुँचता है, वाल्व निकास द्वार को बंद कर देता है, जिससे भाप का प्रवाह बंद हो जाता है। सिलिंडर शीर्ष और पिस्टन के बीच कुछ भाप बच जाती है, जो निर्मुक्त नहीं हो पाती है। फिर चक्र की पुनरावृत्ति होती है।
पंक्ति 48:
=== भाप का कार्नो चक्र (Carnot cycle) ===
=== रैंकिन चक्र (Rankine cycle) ===
रैंकिन चक्र एक सैद्धांतिक चक्र है, जिसके अनुसार भाप इंजन कार्य करता है।
== भाप इंजन का गतिनियामक (governor) ==
Line 61 ⟶ 59:
शक्ति की माँग के अनुसार भाप की दाब को बढ़ाकर या घटाकर इंजन की गति का नियमन करनेवाले गतिनियामक को '''अवरोध गतिनियामक''' (throttling governor) कहते हैं। गतिनियामक एक अवरोध वाल्व को चलाता है, जो मुख्य भाप नली में रखा होता है। इस प्रकार के गतिनियामकों में मुख्य गतिपालक कंदुक गतिनियामक (fly ball governor) होता है। वाल्व संतुलित प्रकार का होता है, अर्थात् भापदाब द्वारा परिणामी बल (resultant force) शून्य होता है। जब इंजन की गति बढ़ती है, गतिनियामक कंदुकों के परिभ्रमण की गति में भी वृद्धि हो जाती है, जिससे केंद्रापसारी (centrpetal force) बल बढ़ जाता है। बल की यह वृद्धि उन्हें गुरुत्वाकर्षणबल एवं नियंत्रण कमानी के विरुद्ध बाहर चलने का बाध्य करती है। इसके चलते वाल्व कुछ अंश में बंद हो जाता है। वाल्व द्वारा अवरोध होने पर पिस्टन पर कार्य करनेवाली भाप की दाब में कमी हो जाती है, जिसके कारण उत्पन्न शक्ति भी कम हो जाती है। एवं इंजन की गति में कमी होने के कारण वाल्व कमानी ऊपर उठ जाती है एवं इंजन की गति में कमी होने के कारण वाल्व कमानी ऊपर उठ जाती है एवं पिस्टन पर कार्य करनेवाली भाप की दाब में वृद्धि हो जाती है, जिसके फलस्वरूप गति बढ़कर सामान्य गति पर आ जाती है। अवरोध गति-नियामक द्वारा नियमित भाप इंजन में प्रयोग के बाद यदि इंजन में प्रति घंटे व्यवहृत भाप की तौल को अश्वशक्ति के साथ आँका जाए, तो एक सरल रेखा प्राप्त होगी। यह संबंध सर्वप्रथम विलिअन ने पाया था। अत: इन्हीं के नाम पर इसे "विलिअन की रेखा" (Willian's Line) कहते हैं।
== नौ इंजन (marine engines) ==
|