"भट्टिकाव्य": अवतरणों में अंतर

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'''भट्टिकाव्य''' महाकवि [[भट्टि]] द्वारा रचित [[मकाकाव्यमहाकाव्य]] है। इसका वास्तविक नाम 'रावणवध' है। इसमें भगवान् [[राम|रामचंद्र]] की कथा जन्म से लगाकर लंकेश्वर [[रावण]] के संहार तक उपवर्णित है। यह महाकाव्य [[संस्कृत]] [[साहित्य]] के दो महान परम्पराओं - [[रामायण]] एवं [[पाणिनि|पाणिनीय]] [[व्याकरण]] का मिश्रण होने के नाते [[कला]] और [[विज्ञान]] का समिश्रण जैसा है। अत: इसे [[साहित्य]] में एक नया और साहसपूर्ण प्रयोग माना जाता है।
 
भट्टि ने स्वयं अपनी रचना का गौरव प्रकट करते हुए कहा है कि यह मेरी रचना व्याकरण के ज्ञान से हीन पाठकों के लिए नहीं है। यह काव्य टीका के सहारे ही समझा जा सकता है। यह मेधावी विद्धान् के मनोविनोद के लिए रचा गया है, तथा सुबोध छात्र को प्रायोगिक पद्धति से व्याकरण के दुरूह नियमों से अवगत कराने के लिए।