"संजीव कुमार": अवतरणों में अंतर

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== जीवन ==
संजीव कुमार का जन्म [[सूरत]] में 9 जुलाई 1938 को जेठालाल जरीवाला के एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था।<ref name=ht12>{{cite web | title = Salt-and-pepper memories with Sanjeev Kumar|publisher=Hindustan Times| url = http://www.hindustantimes.com/editorial-views-on/ColumnsOthers/Salt-and-pepper-memories-with-Sanjeev-Kumar/Article1-954727.aspx |date=November 4, 2012| accessdate = 2013-09-10}}</ref> उनका जन्म का नाम हरिहर जरीवाला था किन्तु प्यार से सभी कुटुम्बी और सम्बन्धी उन्हें हरीभाई जरीवाला ही कहते थे। यद्यपि उनका पैतृक निवास सूरत में था परन्तु फिल्मजगत की चाह उन्हें मायानगरी [[मुंबई]] खींच लायी। यह शौक उन्हें बचपन से हींही था।
 
फिल्मों में बतौर अभिनेता काम करने का सपना देखने वाले हरीभाई [[भारतीय चलचित्र|भारतीय फिल्म उद्योग]] में आकर संजीव कुमार हो गये। अपने जीवन के शुरूआती दौर में पहले वे रंगमंच से जुड़े परन्तु बाद में उन्होंने फिल्मालय के एक्टिंग स्कूल में दाखिला लिया। इसी दौरान वर्ष 1960 में उन्हें फिल्मालय बैनर की फिल्म हम हिन्दुस्तानी में एक छोटी सी भूमिका निभाने का मौका मिला। उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक फिल्मों में अपने शानदार अभिनय से वे एक प्रसिद्ध फिल्म अभिनेता बने।
 
संजीव कुमार ने विवाह नहीं किया परन्तु प्रेम कई बार किया था। उन्हें यह अन्धविश्वास था की इनके परिवार में बड़े पुत्र के 10 वर्ष का होने पर पिता की मृत्यु हो जाती है। इनके दादा, पिता, और भाई सभी के साथ यह हो चुका था। संजीव कुमार ने अपने दिवंगत भाई के बेटे को गोद लिया और उसके दस वर्ष का होने पर उनकी मृत्यु हो गयी! संजीव कुमार लज़ीज भोजन के बहुत शौक़ीन थे।
 
बीस वर्ष की आयु में गरीब मध्यम वर्ग के इस युवा ने कभी भी छोटी भूमिकाओं से कोई परहेज नहीं किया। '[[संघर्ष (1968 फ़िल्म)|संघर्ष]]' फ़िल्म में [[दिलीप कुमार]] की बाँहों में दम तोड़ने का दृश्य इतना शानदार किया कि खुद दिलीप कुमार भी सकते में आ गये। स्टार कलाकार हो जाने के बावजूद भी उन्होंने कभी नखरे नहीं किये। उन्होने [[जया बच्चन]] के स्वसुर, प्रेमी, पिता और पति की भूमिकाएँ भी निभायीं।. जब लेखक [[सलीम ख़ान]] ने इनसे [[त्रिशूल]] में अपने समकालीन [[अमिताभ बच्चन]] और [[शशि कपूर]] के पिता की भूमिका निभाने का आग्रह किया तो उन्होंने बेझिझक यह भूमिका स्वीकार कर ली और इतने शानदार ढँग से निभायी कि उन्हें ही केन्द्रीय करेक्टर मान लिया गया। हरीभाई ने बीस वर्ष की आयु में एक वृद्ध आदमी का ऐसा जीवन्त अभिनय किया था कि उसे देखकर [[पृथ्वीराज कपूर]] भी दंग रह गये।
 
== फिल्मी सफर ==