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[[भुवनेश्वर]] के समीप [[उदयगिरि]] पहाड़ी पर [[हाथीगुंफा]] के अभिलेख से [[कलिंग]] में एक '''चेति (चेदि) राजवंश''' का इतिहास ज्ञात होता है। यह वंश अपने को प्राचीन चेदि नरेश वसु की संतति (वसु-उपरिचर) कहता है। कलिंग में इस वंश की स्थापना संभवत: [[महामेघवाहन]] ने की थी जिसके नाम पर इस वंश के नरेश महामेघवाहन भी कहलाते थे। [[खारवेल]], जिसके समय में हाथीगुंफा का अभिलेख उत्कीर्ण हुआ इस वंश की तीसरी पीढ़ी में था। महामेघवाहन और खारवेल के बीच का इतिहास अज्ञात है। महाराज वक्रदेव, जिसके समय में [[उदयगिरि]] पहाड़ी की [[मंचपुरी]] गुफा का निचला भाग बना, इस राजवंश की संभवत: दूसरी पीढ़ी में था और खारवेल का पिता था।
'''चेदि''' [[आर्य|आर्यों]] का एक अति प्राचीन वंश है। [[ऋग्वेद]] की एक दानस्तुति में इनके एक अत्यंत शक्तिशाली नरेश कशु का उल्लेख है। ऋग्वेदकाल में ये संभवत: [[यमुना]] और [[विंध्य पर्वत|विंध्य]] के बीच बसे हुए थे।
 
[[पुराण|पुराणों]] में वर्णित परंपरागत इतिहास के अनुसार [[यादव|यादवों]] के नरेश विदर्भ के तीन पुत्रों में से द्वितीय कैशिक चेदि का राजा हुआ और उसने चेदि शाखा का स्थापना की। चेदि राज्य आधुनिक [[बुंदेलखंड]] में स्थित रहा होगा और [[यमुना]] के दक्षिण में [[चंबल]] और [[केन नदी|केन नदियों]] के बीच में फैला रहा होगा। कुरु के सबसे छोटे पुत्र सुधन्वन्‌ के चौथे अनुवर्ती शासक वसु ने यादवों से चेदि जीतकर एक नए राजवंश की स्थापना की। उसके पाँच में से चौथे (प्रत्यग्रह) को चेदि का राज्य मिला। [[महाभारत]] के युद्ध में चेदि पांडवों के पक्ष में लड़े थे। छठी शताब्दी ईसा पूर्व के 16 [[महाजनपद|महाजनपदों]] की तालिका में चेति अथवा चेदि का भी नाम आता है। चेदि लोगों के दो स्थानों पर बसने के प्रमाण मिलते हैं - [[नेपाल]] में और बुंदेलखंड में। इनमें से दूसरा इतिहास में अधिक प्रसिद्ध हुआ। [[मुद्राराक्षस]] में [[मलयकेतु]] की सेना में [[खश]], मगध, [[यवन]], [[शक]], [[हूण]] के साथ चेदि लोगों का भी नाम है।
 
[[भुवनेश्वर]] के समीप [[उदयगिरि]] पहाड़ी पर [[हाथीगुंफा]] के अभिलेख से [[कलिंग]] में एक चेति (चेदि) राजवंश का इतिहास ज्ञात होता है। यह वंश अपने को प्राचीन चेदि नरेश वसु की संतति (वसु-उपरिचर) कहता है। कलिंग में इस वंश की स्थापना संभवत: [[महामेघवाहन]] ने की थी जिसके नाम पर इस वंश के नरेश महामेघवाहन भी कहलाते थे। [[खारवेल]], जिसके समय में हाथीगुंफा का अभिलेख उत्कीर्ण हुआ इस वंश की तीसरी पीढ़ी में था। महामेघवाहन और खारवेल के बीच का इतिहास अज्ञात है। महाराज वक्रदेव, जिसके समय में [[उदयगिरि]] पहाड़ी की [[मंचपुरी]] गुफा का निचला भाग बना, इस राजवंश की संभवत: दूसरी पीढ़ी में था और खारवेल का पिता था।
 
==खारवेल==