"केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो": अवतरणों में अंतर
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युद्ध समाप्ति के बाद भी, केन्द्र सरकार के कर्मचारियों द्वारा घूसखोरी और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने हेतु एक केन्द्रीय सरकारी एजेंसी की जरूरत महसूस की गई । इसीलिए 1946 में दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम लागू किया गया । इस अधिनियम के द्वारा विशेष पुलिस प्रतिष्ठान का अधीक्षण गृह विभाग को हस्तांतरित हो गया और इसके कामकाज को विस्तार करके भारत सरकार के सभी विभागों को कवर कर लिया गया । विशेष पुलिस प्रतिष्ठान का क्षेत्राधिकार सभी संघ राज्य क्षेत्रों तक विस्तृत कर दिया गया और सम्बन्धित राज्य सरकार की सहमति से राज्यों तक भी इसका विस्तार किया जा सकता था । दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान को इसका लोकप्रिय नाम ‘केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो’ गृह मंत्रालय संकल्प दिनांक 1.4.1963 द्वारा मिला । आरम्भ में केन्द्र सरकार द्वारा सूचित अपराध केवल केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार से ही सम्बन्धित था । धीरे-धीरे, बड़ी संख्या में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों की स्थापना के साथ ही इन उपक्रमों के कर्मचारियों को भी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के क्षेत्र के अधीन लाया गया । इसी प्रकार, 1969 में बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और उनके कर्मचारी भी केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो के क्षेत्र के अधीन आ गए ।
'''संगठन और रैंक संरचना''' HIMANSHU UPADHYAY
अधिक जानकारी: सीबीआई संगठनात्मक चार्ट और भारत में पुलिस रैंकों की सूची AND 9557366181
सीबीआई ने एक निदेशक, पुलिस महानिदेशक या पुलिस (राज्य) के आयुक्त के रैंक के एक आईपीएस अधिकारी के नेतृत्व में है. निदेशक सीवीसी अधिनियम 2003 के द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर चुना जाता है और 2 साल की अवधि है. सीबीआई में अन्य महत्वपूर्ण रैंकों आईआरएस द्वारा भी किया जा सकता है के रूप में आईपीएस अधिकारियों के रूप में अच्छी तरह से संभाला विशेष निदेशक, अतिरिक्त निदेशक, संयुक्त निदेशक, पुलिस उपमहानिरीक्षक, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, उप अधीक्षक पुलिस. बाकी सीधे सीबीआई, उप निरीक्षक, सहायक उप निरीक्षक, हेड कांस्टेबल, वरिष्ठ कांस्टेबल और कांस्टेबल भर्ती कर रहे हैं.
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