"पीथमपुर के कालेश्वरनाथ": अवतरणों में अंतर

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सकल वंश िशवभक्त कहावत।।
 
[[चित्र:Kaleshwarnath.jpg|thumb|right|300px|पंचमुखी शिवलिंग]]कहना न होगा हीरासाय का पूरा वंश िशवभक्त हुआ और मंदिर में प्रथम पूजा का अधिकार पाया। श्री प्यारेलाल गुप्त ने भी `प्राचीन छत्तीसगढ़` में हीरासाय को पीथमपुर के िशव मंदिर में पूजा-अर्चना कर पेट रोग से मुक्त होना बताया हैं। उन्होंंने खरियार (उड़ीसा) के राजा को भी पेट रोग से मुक्त करने के लिए पीथमपुर यात्रा करना बताया हैं। बिलासपर वैभव और बिलासपुर जिला गजेटियर में भी इसका उल्लेख हैं। लेकिन जनश्रुति यह है कि पीथमपुर के कालेश्वरनाथ (अपभ्रंश कलेश्वरनाथ) की फाल्गुन पूर्णिमा को पूजा-अर्चना और अभिषेक करने से वंश की अवश्य वृि़द्ध होती है। खरियार (उड़ीसा) के जिस जमींदार को पेट रोग से मुक्ति पाने के लिए पीथमपुर की यात्रा करना बताया गया है वे वास्तव में अपने वंश की वृिद्ध के लिए यहां आये थे। खरियार के युवराज और उड़ीसा के सुप्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. जे. पी. सिंहदेव ने मुझे बताया कि उनके दादा राजा वीर विक्रम सिंहदेव ने अपने वंश की वृिद्ध के लिए पीथमपुर गए थे। समय आने पर कालेश्वरनाथ की कृपा से उनके दो पुत्र क्रमश: आरतातनदेव और विजयभैरवदेव तथा दो पुत्री कनक मंजरी देवी और शोभज्ञा मंजरी देवी का जन्म हुआ। वंश वृिद्ध होने पर उन्होंने पीथमपुर में एक मंदिर का निर्माण कराया लेकिन मंदिर में मूर्ति की स्थापना के पूर्व 36 वर्ष की अल्पायु में सन् 1912 में उनका स्वर्गवास हो गया। बाद में मंदिर ट्रस्ट द्वारा उस मंदिर में गौरी (पार्वती) जी की मूर्ति स्थापित करायी गयी।
 
यहां एक किंवदंति और प्रचलित है जिसके अनुसार एक बार नागा साधु के आशीर्वाद से कुलीन परिवार की एक पुत्रवधू को पुत्ररत्न की प्राप्ति हुई। इस घटना को जानकर अगले वर्ष अनेक महिलाएं पुत्ररत्न की लालसा लिए यहां आई जिससे नागा साधुओं को बहुत परेशानी हुई और उनकी संख्या धीरे धीरे कम होने लगी। कदाचित् इसी कारण नागा साधुओं की संख्या कम हो गयी है। लेकिन यह सत्य है कि आज भी अनेक दंपत्ति पुत्र कामना लिए यहां आती हैं और मनोकामना पूरी होने पर अगले वर्ष जमीन पर लोट मारते दर्शन करने यहां जाते हैं। पीथमपुर के काल कालेश्वरनाथ की लीला अपरम्पार है। छत्तीसगढ़ के भारतेन्दु कालीन कवि श्री वरणत सिंह चौहान ने `िशवरीनारायण महात्म्य और पंचकोसी यात्रा` नामक पुस्तक में पीथमपुर की महत्ता का बखान किया है :-