"वैशाख": अवतरणों में अंतर
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भारतीय काल गणना के अनुसार [[वर्ष]] का दूसरा [[माह]] '''वैशाख''' है। इस माह को एक पवित्र माह के रूप में माना जाता है। जिनका संबंध देव अवतारों और धार्मिक परंपराओं से है। ऐसा माना जाता है कि इस माह के शुक्ल पक्ष को अक्षय तृतीया के दिन विष्णु अवतारों नर-नारायण, परशुराम, नृसिंह और ह्ययग्रीव के अवतार हुआ और शुक्ल पक्ष की नवमी को देवी सीता धरती से प्रकट हुई।<ref name="bhaskar">{{cite web|title=देव मास है वैशाख माह|url=http://religion.bhaskar.com/2010/04/09/vaishakh3-856497.html |publisher=[[दैनिक भास्कर]]|date=18 अप्रैल 2010|accessdate=3 अक्टूबर 2013|author=धर्म डेस्क|location=उज्जैन}}</ref> कुछ मान्यताओं के अनुसार त्रेतायुग की शुरुआत भी वैशाख माह से हुई। इस माह की पवित्रता और दिव्यता के कारण ही कालान्तर में वैशाख माह की तिथियों का सम्बंध लोक परंपराओं में अनेक देव मंदिरों के पट खोलने और महोत्सवों के मनाने के साथ जोड़ दिया। यही कारण है कि हिन्दू धर्म के चार धाम में से एक बद्रीनाथधाम के कपाट वैशाख माह की अक्षय तृतीया को खुलते हैं।<ref name="bhaskar" /> इसी वैशाख के शुक्ल पक्ष की द्वितीया को एक और हिन्दू तीर्थ धाम पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा भी निकलती है। वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या को देववृक्ष वट की पूजा की जाती है।<ref name="bhaskar" /><ref>{{cite book|title=विनय पत्रिका|url=|author=योगेन्द्र प्रताप सिंह|publisher=लोकभारती प्रकाशन |year=2009|isbn=9788180314032|page=22}}</ref> यह भी माना जाता है कि भगवान बुद्ध की वैशाख पूजा 'दत्थ गामणी' (लगभग 100-77 ई. पू.) नामक व्यक्ति ने लंका में प्रारम्भ करायी थी।<ref> वालपोल राहुल (कोलम्बो, 1956) द्वारा रचित 'बुद्धिज्म इन सीलोन' , पृ॰ 80</ref>
==सन्दर्भ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{सूर्य की दशाएँ}}
{{हिन्दू काल गणना}}
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