"राम लीला": अवतरणों में अंतर
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== इतिहास ==
समुद्र से लेकर हिमाचल तक प्रख्यात रामलीला का आदि प्रवर्तक कौन है, यह विवादास्पद प्रश्न है। भावुक भक्तों की दृष्टि में यह अनादि है। एक
== रामलीला के प्रकार ==
रंगमंचीय दृष्टि से रामलीला तीन प्रकार की हैं - सचल लीला, अचल लीला तथा स्टेज़ लीला। काशी नगरी के चार स्थानों में अचल लीलाएँ होती हैं। [[गोस्वामी तुलसीदास|गो. तुलसीदास]] द्वारा स्थापित रंगमंच की कई विशेषताओं में से एक यह भी है कि स्वाभाविकता, प्रभावोत्पादकता और मनोहरता की सृष्टि के लिए, [[अयोध्या]], [[जनकपुर]], [[चित्रकूट]], [[लंका]] आदि अलग-अलग स्थान बना दिए गए थे और एक स्थान पर उसी से संबंधित सब लीलाएँ दिखाई जाती थीं। यह ज्ञातव्य है कि रंगशाला खुली होती थी और पात्रों को संवाद जोड़ने घटाने में स्वतंत्रता थी। इस तरह [[हिंदी रंगमंच]] की प्रतिष्ठा का श्रेय गो. तुलसीदास को और इनके कार्यक्षेत्र काशी को प्राप्त है।
[[गोपीगंज]] आदि में भरतमिलाप के दिन विमान तथा लागें निकाली जाती हैं। [[इलाहाबाद]] के [[दशहरा|दशहरे]] के अवसर पर रामलीला के सिलसिले में जो विमान और चौकियाँ निकलती है, उनका दृश्य बड़ा भव्य होता है।
लीला के पात्र, किशोर, युवा, प्रौढ़ सभी होते हैं। [[सीता]] या सखियों
रामलीला की सफलता उसका संचालन करनेवाले व्यास सूत्राघार पर निर्भर करती है, क्योंकि वह संवादों की गत्यात्मकता तथा अभिनेताओं को निर्देश देता है। साथ ही रंगमंचीय व्यवस्था पर भी पूरा ध्यान रखता है। रामलीला के प्रांरभ में एक निश्चित विधि स्वीकृत है। स्थान-काल-भेद के कारण विधियों में अंतर लक्षित होता है। कहीं भगवान के मुकुटों के पूजन से तो कहीं अन्य विधान से होता है। इसमें एक ओर पात्रों द्वारा रूप और अवस्थाओं का प्रस्तुतीकरण होता है, दूसरी ओर समवेत स्वर में मानस का परायण नारद-बानी-शैली में होता चलता है। लीला के अंत में आरती होती है।
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काशी में शूर्पणखा की नाक काटे जाने के बाद खर-दूषण की सेना का जो जुलूस निकलता है उसमें जगमग करते हुए विमान तथा तरह-तरह की लागें निकलती हैं जिनमें धार्मिक, सामाजिक दृश्यों, घटनाओं की मनोरम झाकियाँ रहती हैं। साथ में काली का वेश धारण किए हुए पुरुषों का तलवार संचालन, पैतरेवाजी, शस्त्रकौशल आदि देखने लायक होता है।
रामलीला में [[नृत्य]], [[संगीत]] की प्रधानता नहीं होती
दर्शकों को अर्थ, धर्म, काम, मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। रामलीला देखने से [[भारतेंदु हरिश्चंद्र]] के हृदय से रामलीला गान की उत्कंठा जगी। परिणामत: [[हिंदी साहित्य]] को "रामलीला" नामक [[चंपू]] की रचना मिली।
== प्रसिद्ध रामलीला-स्थल ==
रामलीला का मूलाधार गो. [[तुलसीदास]] कृत "[[रामचरितमानस]]" है लेकिन एकमात्र वही नहीं। श्री [[राधेश्याम कथावाचक]] द्वारा रचित रामायण को भी कहीं-कहीं यह गौरव प्राप्त है। ऐसे काशी की सभी रामलीला में गोस्वामी जी विरचित "मानस" ही प्रतिष्ठित है। इस लोक आयोजन के लिए वर्ष भर दो माह ही अधिक उपयुक्त माने गए हैं - [[आश्विन]] और
लोकनायक राम की लीला भारत के अनेक क्षेत्रों में होती है। हमारे देश के बाहर के भूखंडों जैसे बाली, जावा, लंका आदि में प्राचीन काल से यह किसी न किसी रूप में प्रचलित रही है। जिस तरह श्रीकृष्ण की [[रासलीला]] का प्रधान केंद्र उनकी लीलाभूमि [[वृंदावन]] है उसी तरह रामलीला का स्थल है [[काशी]] और [[अयोध्या]]। मिथिला, मथुरा, आगरा, अलीगढ़, एटा, इटावा, कानपुर, काशी आदि नगरों या क्षेत्रों में आश्विन माह में अवश्य ही आयोजित होती है लेकिन एक साथ जितनी लीलाएँ नटराज की क्रीड़ाभूमि वाराणसी में होती है उतनी भारत में अन्यत्र कहीं नहीं। इस दृष्टि से काशी इस दिशा में === दिल्ली की रामलीला ===
दिल्ली में रामलीलाओं का इतिहास बहुत पुराना
रामलीलाओं में छविलाल ढोंढियाल द्वारा लिखित "रामलीला" पुस्तक बहुत प्रचलित पुस्तक
== इन्हें भी देखें ==
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