"बागमती": अवतरणों में अंतर

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'''बागमती''' ([[नेपाल भाषा]]:बागमती खुसी, {{lang-ne|बागमती नदी}}) [[नेपाल]] और [[भारत]] की एक बहुत महत्त्वपूर्ण [[नदी]] है। इस नदी के तट पर [[काठमांडू]] अवस्थित है। नेपाल का सबसे पवित्र [[तीर्थ स्थल]] [[पशुपतिनाथ मंदिर]] भी इसी नदी के तट पर अवस्थित है। इस नदी का उद्गम स्थान [[बागद्वार]] है। काटमाण्डौ के टेकु दोभान मै [[विष्णुमति नदी]] इसमें समाहित होती है। [[नेपाली सभ्यता]] में इस नदी का बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस नदी के किनारे मे अवस्थित [[आर्य]] घाटौं पर राजा से लेकर रंक तक सभी का [[अन्तिम संस्कार]] किया जाता है।
==उद्गम और अपवाह==
[[File:Cremations on the Banks of Bagmati River.JPG|thumb|बागमती नदी के किनारे दाह संस्कार का दृश्य]]
[[File:Bagmati River, 1950 - 1955.jpg|right|thumb|बागमती नदी, 1950से 1955 के बीच]]
बागमती नदी [[हिमालय]] की महाभारत श्रेणियों में नेपाल से निकलती है। यह नदी [[नेपाल]] में लगभग 195 किलोमीटर की यात्रा तय कर के [[बिहार]] के [[सीतामढ़ी]] जिले में [[समस्तीपुर]]-[[नरकटियागंज]] रेल लाइन पर स्थित ढेंग रेलवे स्टेशन के 2.5 किलोमीटर उत्तर में [[भारत]] में प्रवेश करती है। [[बिहार]] में इस नदी की कुल लम्बाई 394 किलोमीटर है। [[नेपाल]] में इस नदी का कुल जल ग्रहण क्षेत्र 7884 वर्ग किलोमीटर है। ढेंग और बैरगनियाँ स्टेशन को जोड़ने वाली रेल लाइन पर बने पुल संख्या 89, 90, 91, 91A और 91B से होकर यह नदी दक्षिण दिशा में चलती है जहाँ लगभग 2.5 किलोमीटर नीचे भारत का जोरियाही नाम का पहला गाँव पड़ता है। यहाँ से 5 किलोमीटर दक्षिण चल कर बागमती खोरीपाकर गाँव में आती है। ढेंग से खोरीपाकर की दूरी साढे़ बारह कि.मी. है और यहीं से थोड़ा और नीचे चल कर देवापुर गाँव के पास उसके दाहिने किनारे पर [[लालबकेया नदी]] मे मिलती है। इस लम्बाई में नदी की प्रवृत्ति पश्चिम से होकर बहने की है मगर लालबकेया से उसका संगम स्थल प्रायः स्थिर रहता है। नदी की इस लम्बाई में बहुत ज्यादा परिवर्तन नहीं हुए हैं यद्यपि उसकी एक पुरानी धारा का जिक्र और रेखांकन जरूर मिलता है। [[बिहार]] के तराई क्षेत्रों में प्रवेश करने के बाद यह नदी बाढ़ के दिनों में अक्सर अपना प्रवाह मार्ग बदल लेती है। इस नदी में बाढ़ के कारण [[बिहार]] के [[सीतामढ़ी]], [[मुजफ़्फ़रपुर]], [[दरभंगा]] और [[मधुबनी]] ज़िलों में काफ़ी क्षति पहुँचाती है। इसकी सहायक नदियों में [[लाल बकेया नदी]], [[लखनदेई नदी]], [[चकनाहा नदी]], [[जमुने नदी]], [[सिपरीधार नदी]], [[छोटी बागमती]], [[कोला नदी]] आदि हैं। [[कोसी परियोजना]] के अन्तर्गत बागमती नदी को भी नियन्त्रित कर इस पर पुल और नये बाँध बनाए गए हैं। यह [[कमला नदी]] से मिलकर [[कोसी नदी]] में मिल जाती है। तराई के मैदानों को पार करती हुई बागमती नदी बिहार में प्रवेश करती है और 360 किलोमीटर दूरी तय करने के बाद दक्षिण-पूर्व की ओर बहती हुई [[बूढ़ी गंडक नदी]] में मिल जाती है।<ref>भारत ज्ञान कोश, खंड-4, प्रकाशक-पोप्युलर प्रकाशन मुंबई </ref>
 
== जल ग्रहण क्षेत्र==
[[बिहार]] में इस नदी की कुल लम्बाई 394 किलोमीटर तथा जल ग्रहण क्षेत्र लगभग 6,500 वर्ग किलोमीटर होता है। इस तरह नदी उद्गम से गंगा तक कुल लम्बाई लगभग 589 किलोमीटर और कुल जल ग्रहण क्षेत्र 14,384 वर्ग किलोमीटर बैठता है। [[बिहार]] के द्वितीय सिंचाई आयोग की रिपोर्ट (1994) के अनुसार बागमती के ऊपरी क्षेत्र [[काठमाण्डू]] के आस-पास सालाना औसत बारिश लगभग 1460 मिलीमीटर होती है जबकि [[चम्पारण]] में 1392 मि.मी., [[सीतामढ़ी]] में 1184 मि.मी., [[मुजफ्फरपुर]] में 1184 मि.मी., [[दरभंगा]] में 1250 मि.मी. और [[समस्तीपुर]] में 1169 मि.मी. होती है।<ref>[http://hindi.indiawaterportal.org/node/36546 इंडिया वाटर पोर्टल हिन्दी: बिहार में बागमती नदी]</ref>