"ईडो": अवतरणों में अंतर
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एस्पेरान्तोका एक नियम ऐसा है कि विशेषण और जिन शब्दोंको वह परिमित करते हैं, उनके अन्तिम अक्षर समान होने चाहिए| इस प्रकारकी जटिलताकी कोई आवश्यकता नही है जैसेकी अंग्रेजी और हंगरीकी भाषाएँ दिखलाती हैं जिनके व्याकरणमे विशेषण अपरिवर्तित होते हैं| और ज़ामेनहोफभी इस भावसे अनुकूल थे, परन्तु कई कारणोंसे एस्पेरान्तोके व्याकरण नियमोंमे बदल नही हुआ|
इन सुधारन सुझावोंके आधार पर कुछ वैज्ञानिकोंने और भाषाप्रवीणोंने मिलकर ईदो भाषाको विकसित किया| इस समितिमे भाषा प्रवीण प्रोफेसर ओटो जेस्परसन और फ्रांसीसी गणितज्ञ और दार्शनिक प्रोफेसर लुई कुतूरात सम्मिलित थे| इन्होने एस्पेरान्तो और इदीओम नेउत्राल (Idiom Neutral) जैसी निर्मित भाषाओंसे अति उत्तम विशेषताओंको चुना और इसमे सुधारना करके एक ऐसी भाषाका विस्तार किया जो दुनियामे सबसे सरल और रिति सहित भाषा अवश्य होगी|
डोक्टर ज़ामेनहोफकी दृष्टिमे एक और भहुत तार्किक और सुविधाजनक अनुमति थी| एस्पेरान्तो भाषामे कोई व्यक्ति या जानवरोंके संज्ञा (जैसे "अभिनेता" या "सिंह्") अधिकतर पुल्लिंग होते हैं| अगर इन शब्दोंका लिंग स्त्रीलिंगमे बदलना हो तो उनमे विभक्ति लगाई जाती है| इसकी जगह मे ज़ामेनहोफ संज्ञाओ में लिंग का भेद न रखनेकी सोचने लगे परन्तु यह बदल नही हूआ|
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